मोरक्को में रमजान पर हसनियन व्याख्यान नहीं होगा, अवाम को ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी न देने की सलाह
रबात, 28 फरवरी (हि.स.)। उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस साल रमजान पर प्रतिष्ठित हसनियन व्याख्यान (डोरोस एल हसनिया) आयोजित नहीं किया जाएगा। यह निर्णय रॉयल पैलेस की घोषणा के बाद लिया गया। घोषणा में कहा गया
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रबात, 28 फरवरी (हि.स.)। उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस साल रमजान पर प्रतिष्ठित हसनियन व्याख्यान (डोरोस एल हसनिया) आयोजित नहीं किया जाएगा। यह निर्णय रॉयल पैलेस की घोषणा के बाद लिया गया। घोषणा में कहा गया है कि मोरक्को के राजा मोहम्मद (षष्ठम) दिसंबर 2024 में कंधे की सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। राजा ने अवाम से अपील की है कि आर्थिक कठिनाई, लगातार सूखे, वित्तीय कठिनाइयों और पशुधन की कमी की वजह से ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी न करें और ना ही इसके लिए भेड़ खरीदें।

मोरक्को वर्ल्ड न्यूज के अनुसार रमजान पर हसनियन व्याख्यान की प्रथा दिवंगत राजा हसन (द्वितीय) ने शुरू की थी। इसमें उपदेश दिए जाते हैं। पूरे मोरक्को में इसका सीधा प्रसारण होता रहा है। इस साल ईद-उल-अजहा पर राजा की कुर्बानी को रद्द करने के फैसले ने मोरक्को में तीखी बहस छेड़ दी है। राजा के कुर्बानी संबंधी आदेश की घोषणा कल इस्लामिक मामलों के मंत्री अहमद तौफीक ने की थी। मंत्री तौफीक के अनुसार राजा मोहम्मद (षष्ठम) ने कहा कि मोरक्को के अधिकांश लोगों के लिए, ईद-अल अजहा धार्मिक दायित्व नहीं है। यह एकता और पारिवारिक समारोह का प्रतीक है। साथ ही अवाम की उदारता और समुदाय की मोरक्कन भावना का प्रतीक है। राजा ने कहा, ''परिवार भेड़ खरीदने के लिए महीनों बचत करते हैं। सीमित संसाधनों वाले लोग भी किसी तरह से इस परंपरा में हिस्सा लेने की कोशिश करते हैं। बढ़ती कीमतों ने 'कुर्बानी' को कठिन बना दिया है।''

सोशल मीडिया में इस पर बहस छिड़ी हुई है। राजा के निर्णय के आलोचकों का तर्क है कि वित्तीय संघर्षों को धार्मिक दायित्वों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। एक फेसबुक यूजर ने लिखा, ''विश्व कप मायने रखता है लेकिन ईद- अल अजहा नहीं, ये किस तरह की प्राथमिकताएं हैं?'' एक अन्य ने टिप्पणी की, ''कुर्बानी ऊपरवाले को एक भेंट है। आप इसे रद्द कर दें, फिर बारिश और आशीर्वाद की उम्मीद करें?” एक यूजर ने सवाल किया, ''यह सिर्फ पैसे के बारे में नहीं है। यह आस्था के बारे में है, सदियों पुरानी परंपरा के बारे में है। इसे लोगों से छीनने का अधिकार किसे है?'' एक अन्य ने लिखा, ''अगर उन्हें वास्तव में लोगों के संघर्षों की परवाह है, तो वे कीमतों को नियंत्रित करेंगे, वेतन बढ़ाएंगे और दैनिक जीवन को आसान बनाएंगे, ईद रद्द नहीं करेंगे। यह उन लोगों की मदद करता है जो इसे वहन नहीं कर सकते।''

एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ''यह सबसे अच्छा फैसला है। पिछले साल कई परिवार कुर्बानी देने में सक्षम नहीं थे और इसने उन्हें एक भयानक स्थिति में डाल दिया। एक अन्य ने टिप्पणी की, ''लोग सिर्फ भेड़ खरीदने के लिए पैसे उधार लेते हैं। फिर उसे चुकाने में महीनों लगा देते हैं। इस साल, कम से कम वे दबाव महसूस नहीं करेंगे।'' कुछ मोरक्कोवासियों का मानना ​​है कि इस साल कुर्बानी को छोड़ना एक व्यावहारिक विकल्प है। कुछ लोगों के लिए यह फरमान दिल दहला देने वाला है। इन लोगों का मानना ​​​​है कि वित्तीय कठिनाइयों को धार्मिक कर्तव्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए। ईद-अल अजहा को रद्द करना निराशाजनक अपशगुन है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद