एचआरसीपी ने पाकिस्तान सरकार से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने का आग्रह किया
इस्लामाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने सरकार से संविधान के अनुच्छेद 38 के तहत कमजोर और कम वेतनभोगी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की अपील की है। इस पहल का उद्देश्य श्रमिकों को बुढ़ापे, बेरोजगारी, बीमारी,
एचआरसीपी ने पाकिस्तान सरकार से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने का आग्रह किया


इस्लामाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने सरकार से संविधान के अनुच्छेद 38 के तहत कमजोर और कम वेतनभोगी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की अपील की है। इस पहल का उद्देश्य श्रमिकों को बुढ़ापे, बेरोजगारी, बीमारी, चोट, प्रसव और मातृत्व से जुड़ी आर्थिक असुरक्षा से बचाना है।

एचआरसीपी द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, एक कार्यक्रम में पाकिस्तान वर्कर्स यूनाइटेड फेडरेशन के चौधरी शौकत ने नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारियों को आधिकारिक नियुक्ति पत्र देने और उन्हें ईओबीआई (इम्प्लॉई ओल्ड-एज बेनिफिट्स इंस्टिट्यूशन) के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता पर जोर दिया।

श्रमिकों के अधिकारों पर चिंताएं:

-खैबर पख्तूनख्वा कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा संस्थान के उपाध्यक्ष खुर्शीद आलम ने न्यूनतम वेतन लागू करने में आ रही बाधाओं पर चिंता व्यक्त की।

-पंजाब कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा संस्थान के निदेशक मलिक फारुख मुमताज ने सुझाव दिया कि ईओबीआई और अन्य सामाजिक सुरक्षा निकायों को श्रमिकों की परिभाषा को समान रूप से लागू करना चाहिए, चाहे उनका वेतन कितना भी हो।

-राष्ट्रीय श्रम संघ के महासचिव उमर हयात ने बताया कि बलूचिस्तान में कई कोयला खनिक ईओबीआई लाभों और उनके अधिकारों से अनजान हैं।

सुधारों की आवश्यकता पर बल:

आईएलओ (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) के शासी निकाय के सदस्य जहूर अवान ने बताया कि वर्तमान प्रणाली के तहत केवल पांच या अधिक कर्मचारियों वाले संगठन ही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए पात्र हैं, जिससे छोटे व्यवसाय इससे बाहर रह जाते हैं। पीआईएलईआर के प्रतिनिधि मकसूद अहमद ने श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए त्रिपक्षीय सम्मेलन आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

एचआरसीपी की सिफारिशें:

एनआईआरसी के सदस्य मिस्बाह उल्लाह खान ने वर्षों की सेवा के बावजूद स्थायी दर्जा न मिलने वाले श्रमिकों की कठिनाइयों को उजागर किया। एचआरसीपी परिषद के सदस्य फरहतुल्लाह बाबर ने कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की उपेक्षा सरकार की बड़ी चूक है और अनुच्छेद 38 को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।

गोलमेज सम्मेलन का समापन:

एचआरसीपी की उपाध्यक्ष नसरीन अजहर ने निष्कर्ष में कहा कि पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली ने श्रमिकों के शोषण को और गहरा कर दिया है, जिससे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय