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महाकुम्भ नगर, 21 फरवरी (हि.स.)। हर व्यक्ति को मार्यादा के अंतर्गत अपने जीवन को जीना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। विषम परिस्थिति में भी मर्यादा का पालन करते रहना चाहिए। क्योंकि मर्यादा ही पुरुष की शोभा है। मनुष्यों को जीव-जन्तुओं से भी प्रेरणा लेनी चाहिए। मनुष्य के जीवन में जब कठिन परिस्थिति आए तो शत्रुओं से भी सर्प एवं चूहे की समान संधि कर लेनी चाहिए। यह बातें श्रीत्रिदण्डी स्वामी के शिष्य श्री जीयर स्वामी महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार से एक विशेष वार्ता के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि जो माया की वृत्तियों से आसक्त नहीं होते, जो वायु के समान सदा सर्वदा असंग रहते हैं, जिनमें समस्त शक्तियां आकर शान्त हो जाती हैं, उन भगवान को हम सब नमस्कार करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान देवताओं की स्तुति सुनकर दर्शन देते हैं। जब सृष्टि पर संकट आया तो भगवान ने ब्रह्माजी, शंकरजी सहित सभी देवताओं से कहा कि यह समय अभी उन्नति का नहीं है। जब तक तुम्हारी उन्नति या वृद्धि का समय न आए, यह नीति कहती है कि असुरों से संधि कर लो क्योंकि अभी आप सबों की विजय कठिन है। भगवान ने देवताओं को असुरों से संधि करने की सलाह दी।
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि भगवान ने देवों को दानवों से मिलकर समुद्र मंथन करने की सलाह दी और कहा कि जब दोनों समुद्र मंथन करोगे तो अमृत निकलेगा। उसी अमृत का पान करेंगे तब असुरों को पराजित करके अपनी श्रीसम्पदा एवं राज्य को वापस प्राप्त कर सकोगे, इसलिए असुरों के साथ उनकी शर्तो के मुताबिक संधि की और विजय प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि यह नीति है कि संकट में शत्रु से भी संधि करके अपना मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश