विश्वभारती में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, बांग्लादेशी विद्यार्थियों ने लिया हिस्सा
बोलपुर, 21 फ़रवरी (हि. स.)। 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इसी क्रम में बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती में 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' मनाया गया। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के विद्यार्थियों ने भी बढ़-चढ़
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस


अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गीत गाते छात्र


बोलपुर, 21 फ़रवरी (हि. स.)। 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इसी क्रम में बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती में 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' मनाया गया। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के विद्यार्थियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस बार मातृभाषा दिवस बांग्लादेश भवन के बजाय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता केंद्र में मनाया गया। इस मौके पर 'मोदेर गरीब मोदेर आशा ए मोरी बांग्ला भाषा...', 'मेरे भाई के खून से रंगी एकुशे फरवरी...', 'बांग्ला भूमि, बंगाली पानी...', 'मैं बंगाली में गाती हूं...' आदि गीतों की प्रस्तुति की गई।

उल्लेखनीय है कि भाषा आंदोलन 1947 में बांग्लादेश में शुरू हुआ। वर्ष 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के छात्र धारा 144 तोड़कर 21 फरवरी को अपनी मातृभाषा के लिए सड़कों पर उतर आए थे। पुलिस ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। तब से इस दिन को भाषा के लिए शहीद हुए लोगों की याद में 'भाषा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। बाद में इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 फरवरी को 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' घोषित किया था।

सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए शाम का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। विश्वभारती प्राधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश भवन में नवीनीकरण का काम चल रहा है, इसलिए स्थान बदल दिया गया है। विश्वभारती में अध्ययनरत बांग्लादेशी विद्यार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। गीत और जयघोष के साथ सुबह की शोभायात्रा के बाद सभी लोग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता केंद्र स्थित शहीद वेदी के पास एकत्र हुए।

इस कार्यक्रम के बारे में विश्वभारती के बांग्लादेश भवन के समन्वयक प्रोफेसर मानवेन्द्र मुखर्जी ने कहा कि बांग्लादेशी छात्रों की सहज भागीदारी एक बड़ी बात है। यह अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है। यह केवल बांग्ला भाषियों के लिए नहीं बल्कि आज सभी भाषा बोलने वालों का दिन है। नवीनीकरण कार्य के कारण यह कार्यक्रम बांग्लादेश भवन में आयोजित नहीं किया गया।

'आमी बांग्ला गान गाई...' के निर्माता प्रतुल मुखर्जी का गत 15 फरवरी को निधन हो गया। उन्हें भी इस मौके पर गीतों के माध्यम से भी स्मरण किया गया। विश्वभारती के कार्यवाहक कुलपति विनय कुमार सोरेन, बांग्लादेश भवन के समन्वयक प्रोफेसर मानवेन्द्र मुखर्जी, कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी अतीग घोष और अन्य व्यक्तियों ने वेदी पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

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हिन्दुस्थान समाचार / गंगा