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मुंबई, दिल्ली, देहरादून से गांव में पुराने घराें का फिर से कर रहे हैं निर्माण
रुद्रप्रयाग, 19 फ़रवरी (हि.स.)। वर्षों तक शहरों, महानगरों में रहने वाले प्रवासी परिवार अपने पैतृक धरोहरों को संवार रहे हैं। साथ ही अपने गांवों में आकर पैतृक आवासीय मकानों का जीर्णोद्धार कर अपने लिए नया घर भी बना रहे हैं। बच्छणस्यूं के नवासू सहित अन्य गांवों में प्रवासियों की इस मुहिम से गांव गुलजार होने लगा है।
बीते दो दशक में पहाड़ पलायन की मार से त्रस्त है। कम ही गांव हैं, जहां भरे-पूरे परिवार निवास कर रहे हैं, अन्यथा अधिकांश गांवों में गिनती के परिवार रह गए हैं। इन परिवारों में जो लोग रह भी रहे हैं, उनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं। अब सूने गांवों के गुलजार होने की उम्मीद जग गई है। मुंबई, दिल्ली, शिमला, देहरादून सहित अन्य बड़े शहरों में वर्षों से अपने फ्लैट व बहुमंजिला मकान बनाकर जीवन यापन कर रहे प्रवासी अपनी मूल जड़ों से जुड़ रहे हैं। बच्छणस्यूं पट्टी के ग्राम पंचायत नवासू में बीते दो, तीन वर्षों में प्रवासी परिवारों ने अपने पैतृक मकानों का जीर्णोद्धार करने के साथ ही नव निर्माण भी किया है।
बीते चार दशक से मुंबई में रह रहे नवासू गांव के राजेंद्र सिंह रौथाण ने गांव में अपने पैतृक मकान का जीर्णोद्धार किया है। वहीं, सेवानिवृत्त शिक्षाविद रवींद्र सिंह रौथाण ने भी अपना पैतृक मकान को संवारने का काम कर रहे हैं। वह, बताते हैं कि पैतृक घर गांव लौटने का एक माध्यम है, जिसे सुधारना पहली प्राथमिकता थी। वर्षों में शिमला में रहने वाले बलवीर सिंह रौथाण व जगदीश सिंह रौथाण बीते वर्ष अपने पैतृक मकान का जीर्णोद्धार किया है। दिल्ली में रहने वाले बुद्धि सिह रौथाण तीन वर्ष पूर्व अपने पैतृक मकान के समीप ही नया आशियाना बना चुके हैं।
वर्षों से दिल्ली में रहने वाले जयकृत सिंह रौथाण भी गांव में अपने लिए दो मंजिला नया भवन बना चुके हैं। प्रवासियों द्वारा अपने पैतृक घरों के पुनरोद्धार करने से वह अब समय-समय पर गांव पहुंच रहे हैं। इस वर्ष 13 से 21 जनवरी तक गांव में आयोजित मां राजराजेश्वरी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में शामिल प्रवासी परिवार सहित अपने पैतृक घरों में रहे। ग्राम पंचायत नवासू की निवर्तमान ग्राम प्रधान देवेश्वरी देवी ने बताया कि बीते दो-तीन वर्षों में गांव में 20 से अधिक पैतृक मकानों का जीर्णोद्धार हो चुका है। साथ ही कुछ नये मकान भी बने हैं। ग्राम पंचायत बंगोली और निशणी के सुनाऊं, चाम्यूं, पणधारा, कलेथ गांव में भी 20 से अधिक पुराने पैतृक मकानों की मरम्मत हो चुकी है।
हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pokhriyal