ईरानी कैफे को मिले तंदूर भट्टी के प्रतिबंध से छूट
Irani cafes get exemption from ban on tandoor ovens
ईरानी कैफे को मिले तंदूर भट्टी के प्रतिबंध से छूट


भाजपा नेता की मांग

मुंबई (सं.)। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में होटलों, बेकरियों, रेस्टोंरेट और ढाबों में लकड़ी या कोयले से चलनी वाली तंदूरी भट्टियों पर प्रतिबंध लगाने का मामला गरमाता जा रहा है। भाजपा के पूर्व नगरसेवक मकरंद नार्वेकर ने मुंबई में ईरानी कैफे और बेकरियों को इस फैसले से छूट देने की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर ईरानी बेकरियों के सौ साल पुरानी खाद्य परंपरा को बरकरार रखने का अनुरोध किया है।

नार्वेकर ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि ईरानी बेकरियों जो सौ साल पुरानी खाद्य परंपरा को संरक्षित रखी हुई हैं, उन्हें ऐतिहासिक विरासत का दर्जा दिया जाना चाहिए. दक्षिण मुंबई में बड़ी संख्या में ईरानी कैफे और बेकरी व्यवसाय हैं. यह बेकरी दशकों से चल रही है, अपने उत्पादों को लकड़ी से जलने वाली कड़ाही में पकाती हैं. इन कैफे में मिलने वाले व्यंजनों का विशिष्ट स्वाद और सुगंध, लकड़ी से जलने वाली भट्टी से आता है. यदि इन व्यंजनों को लकड़ी या कोयले का उपयोग किए बिना अन्य प्रकार के ईंधन में पकाया जाएगा, तो पीढ़ियों से संरक्षित व्यंजनों का स्वाद बदल जाएगा।

नार्वेकर के अनुसार वे जिन लकड़ी से जलने वाले भट्टी का उपयोग करते हैं, वे उनकी विरासत का अभिन्न अंग हैं। ईरानी कैफे सिर्फ रेस्तरां नहीं हैं, बल्कि मुंबई के पाक इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा हैं। पारसी ईरानी 19वीं शताब्दी में अपनी पाक परम्पराओं को मुंबई में लेकर आए थे। न्यूयॉर्क और नीदरलैंड में पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक रेस्तरां को नियमों से छूट दी गई है।

बांबे हाई कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में लकड़ी व कोयला ईंधन पर आधारित व्यवसायों को छह महीने के भीतर वैकल्पिक हरित ईंधन अपनाने का आदेश दिया है। इसे लागू करने के लिए बीएमसी प्रशासन ने कारोबारियों को 8 जुलाई 2025 तक की समय सीमा दी है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार