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रायपुर/महासमुंद, 18 फरवरी (हि.स.)। महासमुंद जिले के भंवरपुर में स्वयंभू शिवलिंग हैं, जिसकी ऊंचाई और गोलाई हर साल बढ़ती ही जा रही है, जो भक्तों के लिए यह विशेष आस्था का केंद्र बन चुका है। यहां खासकर महाशिवरात्रि और सावन मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यह भगवान भोलेनाथ के ऐसा ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है, यहां भक्तगण विशेष रूप से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं। यह मंदिर जिला मुख्यालय से महज 106 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसकी ऊंचाई दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। यहीं मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ की स्थापना भी की गई है और एक संतोषी माता का मंदिर भी बनवाया गया है।
मंदिर का इतिहास-
भंवरपुर के देव तालाब रानीसागर के किनारे स्थित इस पूर्वमुखी शिव मंदिर का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रोचक भी। गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि वर्षों पहले इस मंदिर की जगह पर एक खेत था। जहां खेत के मालिक किसान ने एक कुआं बनाने के उद्देश्य से जमीन की खोदाई शुरू की। कुछ खुदाई करने के बाद किसान को उस जगह पर एक गोल पत्थर मिला जो खुदाई को आगे बढ़ने नहीं दे रहा था। किसान ने उस पत्थर को निकालने बहुत जतन किया। उसने पहले उस गोल पत्थर की गोलाई में खुदाई की फिर वहां पानी डालकर उसे हिला डुलाकर निकालने की कोशिश की, लेकिन उसे वहां से नहीं निकाला सका। तब उसने पत्थर को तोड़ने के लिए कुदाल से जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्थर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उस पर कुदाल का निशान अवश्य हो गया, जो आज भी शिवलिंग पर मौजूद है। उसे स्पर्श करके महसूस किया जा सकता है।
दिनभर की मेहनत के बाद भी जब किसान सफल नहीं हुआ तो दूसरे दिन किसी भी तरह उस पत्थर को निकालने का संकल्प लेकर वह घर आ गया और आराम करने लगा। तब उसे स्वप्न में भगवान शिवजी ने दर्शन देकर कहा कि तुम जिस पत्थर को निकालना चाहते हो वो कोई साधारण पत्थर नहीं है, एक शिवलिंग है। मैं स्वयं वहां शिवलिंग के रूप में प्रगट हो रहा हूं। मेरे विचार से तुम्हें उस जगह की खोदाई बंद करके अन्यत्र खोदाई करनी चाहिए। सुबह जब किसान उस जगह पर पुनः खुदाई करने पहुंचा तो उसने देखा कि वह पत्थर पहले दिन से अधिक बाहर आ गया था। धीरे-धीरे यह शिवलिंग बाहर निकल आया। शिवलिंग की पूजा-अर्चना प्रारंभ कर दी और गांव वालों के सहयोग से एक छोटा सा मंदिर उस जगह पर बनाकर कुएं को अन्यत्र जगह पर खोदा गया, जो आज भी मौजूद है। वह पुराना छोटा सा शिव मंदिर आज जन सहयोग से बड़ा और भव्य हो चुका है। शिवलिंग आज जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर आ चुका है और इसकी ऊंचाई दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। यहीं मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ की स्थापना भी की गई है और एक संतोषी माता का मंदिर भी बनवाया गया है।
मंदिर के पुजारी दिनेश वैष्णव अपनी तीन पीढ़ी से यहां पुजारी की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि, यहां स्थित शिवलिंग के चमत्कारी रूप से प्रकट होने की मान्यता है, जिसे देखने और पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। आज से तकरीबन 30 वर्ष पूर्व 1986 में जब पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करने पूर्व मंदिर को ताेड़ा गया, तब कुछ भक्तों द्वारा शिवलिंग को भूतल से ऊपर उठाकर स्थापना करने के विचार से शिवलिंग को उखाड़ने के लिए उसके चारों ओर खुदाई की गई। लेकिन बहुत गहराई तक खोदने पर भी जब उन्हें शिवलिंग का कोई ओर छोर नजर नहीं आया, तब उन्होंने भगवान शिव से अपने कृत्य पर क्षमा याचना कर शिवलिंग को उखाड़ने के विचार का त्याग किया। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह शिवलिंग एक किसान के खेत में खुदाई के दौरान मिला था और धीरे-धीरे यह खुद जमीन से बाहर निकलने लगा। समय के साथ इसकी ऊंचाई बढ़ती गई, जो अब लगभग 3 फीट से अधिक हो चुकी है। वे बताते हैं, भंवरपुर गांव में स्थित इस शिवलिंग की मान्यता बेहद अनोखी है। वहीं, श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान शिव की कृपा से यह शिवलिंग आज भी बढ़ता जा रहा है।
पुजारी दिनेश वैष्णव ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में भव्य आयोजन किए जाएंगे। इस दिन भक्तगण विशेष रूप से यहां जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं, यहां रात्रि जागरण कर पूरी रात भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। पुजारियों द्वारा भगवान शिव का अभिषेक और आरती की जाएगी, मंदिर परिसर में भक्तों के लिए प्रसाद वितरण किया जाएगा और साथ ही महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव बारात भी निकाली जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / गायत्री प्रसाद धीवर