स्वस्थ धरा, खेत हरा : गुजरात के 2.15 करोड़ किसानों को मिले सॉइल हेल्थ कार्ड
• 19 फरवरी : सॉइल हेल्थ कार्ड दिवस पर विशेष • गुजरात इस अभिनव योजना को लागू करने वाला पहला राज्य •गुजरात में 20 सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी और ग्राम स्तरीय 27 निजी सॉइल टेस्टिंग लैब संचालित अहमदाबाद, 18 फ़रवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की अ
सौराष्ट्र क्षेत्र में कृषि कार्य करते हुए किसान।


• 19 फरवरी : सॉइल हेल्थ कार्ड दिवस पर विशेष

• गुजरात इस अभिनव योजना को लागू करने वाला पहला राज्य

•गुजरात में 20 सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी और ग्राम स्तरीय 27 निजी सॉइल टेस्टिंग लैब संचालित

अहमदाबाद, 18 फ़रवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की अगुवाई वाली गुजरात सरकार ने किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए और कृषि फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनेक किसान-उन्मुख योजनाएं लागू की हैं। ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ मंत्र के साथ लागू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड यानी सॉइल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना के अंतर्गत अब तक गुजरात के 2.15 करोड़ किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं।

गुजरात सॉइल हेल्थ कार्ड लागू करने वाला पहला राज्य

राज्य का समग्र कृषि विकास गुजरात सरकार की प्राथमिकता रही है। इसलिए कृषि योग्य भूमि की उचित तरीके से देखरेख करने और उसे बंजर होने से बचाने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2003-04 में ‘सॉइल हेल्थ कार्ड योजना’ कार्यान्वित की थी। गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य था, जिसने मृदा स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए इस प्रकार की योजना लागू की थी।

क्या है सॉइल हेल्थ कार्ड

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना और उसके फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारत प्रतिवर्ष 19 फरवरी को सॉइल हेल्थ कार्ड दिवस मनाया जाता है। गुजरात सरकार के सूचना विभाग के अनुसार सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत कृषि योग्य भूमि के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निर्धारित पद्धति के अनुसार किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने एकत्रित किए जाते हैं और उन्हें विश्लेषण के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है। वहां उन नमूनों का विश्लेषण कर सॉफ्टवेयर आधारित सॉइल हेल्थ कार्ड तैयार किए जाते हैं। सॉइल हेल्थ कार्ड में मिट्टी में मौजूद विभिन्न पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक, आयरन, मैंगनीज, कॉपर, बोरान, पीएच मान, वैद्युत चालकता और जैविक कार्बन सहित 12 तत्वों की मात्रा का उल्लेख किया जाता है। सॉइल हेल्थ कार्ड के तहत किसानों को मिट्टी की सेहत की जानकारी के अलावा मिट्टी के अनुरूप खाद के प्रकार और उसके उपयोग की वैज्ञानिक सिफारिश मुफ्त में प्रदान की जाती है। इस प्रक्रिया से अनावश्यक रासायनिक खाद के अत्यधिक उपयोग में कमी आती है और भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में मदद मिलती है।

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना का व्यापक कार्यान्वयन

इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी भूमि की स्थिति के संबंध में व्यापक जानकारी प्रदान कर उन्हें सशक्त करना था। योजना के लागू होने के बाद इसका पहला चरण 2003-04 से 2010-11 के दौरान और दूसरा चरण 2011-12 से 2015-16 के दौरान पूर्ण किया गया। पहले चरण में गुजरात के 43.03 लाख से अधिक किसानों और दूसरे चरण में 46.92 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क सॉइल हेल्थ कार्ड प्रदान किए गए। गुजरात में मिली सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015-16 में देश भर में ‘सॉइल हेल्थ कार्ड योजना’ लागू की। जिसके अंतर्गत तीसरे चरण में 2016-17 से अब तक भारत सरकार की इस योजना के तहत राज्य के 1.25 करोड़ से अधिक किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं।

खाद का खर्च कम हुआ और उपज में वृद्धि हुई

पिछले एक दशक में इस योजना के कारण किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की मुख्य कमियों के बारे में पता चला है, साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों वाले उर्वरकों का उपयोग भी बढ़ा है। अरवल्ली जिले के धनसुरा शहर निवासी बाबूभाई वसरामभाई पटेल नामक किसान ने कहा कि, “एसएचसी योजना के तहत उन्हें सीमित मात्रा में केवल आवश्यक उर्वरकों का उपयोग करने की सिफारिश की गई थी, जिसका पालन करने पर उन्हें उर्वरक की लागत कम करने में मदद मिली। इस पहल से उन्हें फसल की बेहतर पैदावार प्राप्त हुई है और इनपुट लागत में भी कमी आई है।

सरकार सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए प्रयासरत

वर्ष 2023-24 में एसएचसी पोर्टल के आधार पर 1,78,634 मिट्टी के नमूने ऑनलाइन एकत्रित किए गए और 1,78,286 नमूनों का विश्लेषण किया गया। वहीं, वर्ष 2024-25 में एसएचसी योजना के तहत गुजरात के लिए भारत सरकार का खरीफ सीजन का लक्ष्य 3,81,000 नमूनों का परीक्षण करने का है। गुजरात सरकार भी इस लक्ष्य को समय पर हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने खरीफ-2024 सीजन तक 3,82,215 नमूने एकत्रित कर लिए हैं, जिनमें से 3,70,000 नमूनों का विश्लेषण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, रबी-2025 सीजन में राज्य सरकार द्वारा 2,35,426 नमूने एकत्रित कर लिए गए हैं, जिनमें से 13,657 नमूनों का विश्लेषण पूरा हो चुका है। शेष नमूनों के परीक्षण का कार्य प्रगति पर है।

इन लक्ष्यों को पूरा करने तथा समय पर विश्लेषण कर सॉइल हेल्थ कार्ड का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं। गुजरात में अभी मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण के लिए कृषि विभाग के अंतर्गत कुल 19 मृदा परीक्षण प्रयोगशाला और एक सूक्ष्म तत्व परीक्षण प्रयोगशाला संचालित है। प्रत्येक लेबोरेटरी की क्षमता सालाना 10,000-11,000 नमूनों का परीक्षण करने की है। इस क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता से 27 निजी सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी यानी ग्राम-स्तरीय लेबोरेटरी भी स्थापित की गई है। प्रत्येक निजी लेबोरेटरी भी सालाना 3000 मिट्टी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए सुसज्जित है।

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना किसानों को उनकी कृषि भूमि की मिट्टी को प्रभावी तरीके से समझने और उसमें सुधार करने, मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने, उत्पादकता बढ़ाने और मिट्टी के अनुरूप फसल उगाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह योजना इनपुट लागत को कम करती है, आर्थिक लाभ में वृद्धि करती है और खेती के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय