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चेन्नई, 17 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आलोचना करते हुए कहा कि भाषा की राजनीति करना पुराना हो चुका है। मुरुगन ने कहा कि तमिलनाडु के लोग सीखना और प्रगति करना चाहते हैं। वे 1960 के दशक में नहीं जी रहे हैं।
दरअसल विवाद तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर है। स्टालिन ने टिप्पणी की थी कि तमिल लोग फंड के बदले तीन-भाषा नीति को स्वीकार करने के लिए मजबूर होने को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हालांकि, मुरुगन ने स्पष्ट किया कि केंद्र ने तमिलनाडु को फंड देने से कभी इनकार नहीं किया।
मुरुगन ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिल भाषा के लिए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) से ज्यादा काम किया है। खासकर इसे वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में। उन्होंने सवाल किया कि डीएमके एनईपी का विरोध क्यों कर रही है, जिसका उद्देश्य युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना और मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ आर बी चौधरी