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जयपुर, 12 फ़रवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग कर जेडीए की योजनाओं को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश भगवान सहाय चौधरी की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व में भी समान मुद्दे पर जेडीए के विकास को रोकने के लिए एक अन्य प्रार्थी के साथ याचिकाकर्ता बनकर पीआईएल दायर की थी। उस याचिका को अदालत ने 5000 रुपए हर्जाने सहित खारिज किया था। पीआईएल के नाम पर कानून के दुरुपयोग करने का एक ट्रेंड बनता जा रहा है। यह याचिका एक तुच्छ प्रकृति की है। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह एक लाख रुपए की हर्जाना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराए।
जेडीए के अधिवक्ता अमित कुडी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने जेडीए की रोजदा फार्म हाउस योजना जालसू, फार्म हाउस एंड इको फ्रेंडली हाउसिंग स्कीम जयरामपुरा, रामपुरा डाबरी व अटलविहार आवासीय योजना, नारी का बास को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह स्कीम चारागाह जमीन पर विकसित की जा रही हैं। इसलिए इन योजनाओं की क्रियान्विति को रोका जाए। इसके जवाब में जेडीए का कहना था कि यह स्कीमें कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही विकसित की जा रही हैं। याचिकाकर्ता पहले भी फार्म हाउस योजना को जनहित याचिका के जरिए चुनौती दे चुका है। याचिका में कोई जनहित का मुद्दा नहीं है और ना ही यह आमजन के हितों के लिए दायर की है। इसलिए जनहित याचिका को हर्जाने के साथ खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को एक लाख रुपए के हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक