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उदयपुर, 12 फ़रवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि जब विश्व में असभ्यता थी, तब भारत में ज्ञान का प्रकाश था। भारत ने कभी भी अन्य देशों पर अपना ज्ञान नहीं थोपने की कोशिश की और ना ही आक्रमण किया, बल्कि आज सनातन की चर्चा वैश्विक स्तर पर हो रही है।
वे बुधवार को प्रताप गौरव केन्द्र में संघ के संपर्क विभाग द्वारा सनातन कमक्ष चुनौतियां एवं हमारी भूमिका विषय पर आयोजित प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत की विविधतापूर्ण मत-पंथ परंपराओं के बारे में बताते हुए कहा कि भारत का मूल सनातन है और हमारे समाज की नींव विविधताओं का सम्मान करने पर आधारित है। उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे सनातन के डीएनए में निहित है। इस संदर्भ में उन्होंने संविधान के बहुआयामी दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत किया, जिसमें पंथनिरपेक्षता और अधिकारों व कर्तव्यों का उल्लेख है।
निम्बाराम ने आगे कहा कि भारत की समृद्धि का इतिहास स्वामी विवेकानंद, गुरु गोविंद सिंह, महात्मा गांधी आदि महापुरुषों के योगदान से भरा हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि सनातन धर्म की सशक्तता और उसकी आत्मनिर्भरता ने भारतीय समाज को विभिन्न बाहरी आक्रमणों से बचाए रखा। उन्होंने यह भी चर्चा की कि हाल के वर्षों में भारतीय समाज में भक्ति आंदोलन और लोकदेवताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। भारतीय समाज में परिवर्तन हमेशा समाज के संघर्ष और दृढ़ता से आया है और यही कारण है कि भारत हमेशा संघर्ष और असाधारण सोच के साथ उभरा है। निम्बाराम ने युवाओं को स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के नाम पर हो रहे भटकाव से सावधान रहने की सलाह दी और यह स्पष्ट किया कि भारतीय समाज में संस्कृति, एकता और समानता को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होना आवश्यक है।
उन्होंने डीप स्टेट पर चर्चा करते हुए कहा कि परदे के पीछे से तंत्र को अस्थिर करने के वैश्विक विस्तारवादी शक्तियों के समक्ष भी हम सशक्त खड़े हैं। युवाओं को स्वतंत्रता के नाम पर बरगलाना, स्वच्छंदता के नाम पर भटकाया जा रहा है। सनातन के संस्कारों से परिपूर्ण राखी, चरण स्पर्श, बिन्दी आदि पर हमला किया जा रहा है। इसे सभी को समझना होगा। उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम, सर्वे भवन्तू सूखिन, अहिंसा परमो धर्म की सनातन भारतीय अवधारणा को युगानुकूल आवश्यकता के अनुसार नई व्याख्या के साथ नई पीढ़ी के बीच ले जाने का आह्वान किया। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी, पर्यावरण व नागरिक कर्तव्य के पंच प्रण का भी उन्होंने समाज से आग्रह किया गया।
कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें भारतीय संविधान के 22 चित्रों और देवी अहिल्याबाई की जीवनी को शामिल किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संघ के विभाग सह कार्यवाह कौशल शर्मा ने प्रस्तावना रखी, जबकि महानगर कार्यवाह विष्णु शंकर नागदा ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन विष्णु मेनारिया ने किया। इस अवसर पर संघ के चित्तौड़ प्रांत प्रचारक मुरलीधर, विभाग प्रचारक धनराज, विभाग संघचालक हेमेंद्र श्रीमाली, महानगर संघचालक गोविंद अग्रवाल सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता