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जोधपुर, 12 फरवरी (हि.स.)। राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर बेंच द्वारा अपीलार्थी की अपील स्वीकार करते हुए जेडीए के विरुद्ध आदेश पारित किया है कि अतिक्रमित भूखंड आवंटित करना सेवा दोष है , और उपभोक्ता से दूसरे आवंटित भूखंड की कीमत अधिक वसूलना अनुचित व्यापार व्यवहार है तथा उपभोक्ता से ज्यादा वसूल की गई राशि लौटने के आदेश दिए है।
राज्य उपभोक्ता आयोग बेंच जोधपुर के सदस्य न्यायिक निर्मल सिंह मेड़तवाल एवं सदस्य लियाकत अली के समक्ष अपीलार्थी जेठाराम लोहिया ने जिला उपभोक्ता आयोग जोधपुर द्वितीय द्वारा अस्वीकार किए गए परिवाद के विरुद्ध अपील प्रस्तुत करते हुए बताया की जेडीए ने अधिवक्ताओं के लिए बनाई गई रामराज नगर योजना में 35 हजार देकर आवेदन किया था द्य वर्ष 2018 में आवेदक को भूखण्ड संख्या 294 कॉर्नर आवंटित हुआ , तथा आवंटन पत्र मई 2018 को जारी किया द्य आरक्षित दर 5940 प्रति वर्ग मीटर रखी गई द्य परिवादी ने मौके पर जाकर देखा तो भूखण्ड पर अतिक्रमण था द्य परिवादी ने तत्काल इसकी सूचना जेडीए को दी तथा राशि जमा करने की अवधि बढ़ाने का अभी निवेदन किया।
परिवादी को उसके स्थान पर अन्य भूखण्ड संख्या 142 उसकी सहमति से आवंटित कर दिया तथा भूखंड पूर्व में 457.75 वर्ग मीटर के स्थान पर 414 . 25 वर्ग मीटर आवंटित किया गया द्य परिवादी को आवंटन पत्र 1 वर्ष से भी अधिक समय बाद में दिया गया जिससे आरक्षित दर तो 5940 ही रखी गई परंतु , आवंटन दर 10त्न अधिक 7722 के स्थान पर 8494 के अनुसार जोड़ते हुए 351781 रुपए अधिक परिवादी से वसूल किए।
परिवादी ने आवंटन पत्र के अनुसार राशि अंडर प्रोटेस्ट जमा करवाते हुए कब्जा प्राप्त कर लिया द्य परिवादी ने अधिक वसूल की गई राशि के विरुद्ध जिला आयोग में परिवाद प्रस्तुत किया जिसे अस्वीकार कर दिया गया द्य जिला आयोग जोधपुर द्वितीय के आदेश के विरुद्ध अपीलार्थी ने राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत की।
आयोग के समक्ष जेडीए ने बहस में बताया कि उपभोक्ता की आपत्ति पर दिसंबर 2019 को दूसरा आवंटन पत्र जारी कर दिया गया द्य जेडीए की ओर से कोई अनुचित व्यापारिक व्यवहार नहीं किया गया द्य परिवादी ने भूखंड की राशि देर से जमा करवाई , इसलिए ब्याज और जुर्माना राशि प्राप्त की गई है द्य अपील अस्वीकार करने की प्रार्थना की।
आयोग ने दोनों पक्षों की सुनकर एवं उपलब्ध दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए अपने निर्णय में कहा की अपीलार्थी को दूसरा आवंटन पत्र एक वर्ष सात माह बाद दिया गया है, जबकि परिवादी ने 10 दिन में ही अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी थी द्य जेडीए ने जो कीमत में बढ़ोतरी की है उसका कोई आधार नहीं है द्य जेडीए ने भूखंड का नाप भी कम कर दिया और राशि अधिक ले ली जो जेडीए का सेवा दोष है द्य अपीलार्थी के वैकल्पिक भूखंड देने के प्रार्थना पत्र को पर निर्णय करने में भी देरी की गई जो जेडीए का सेवा दोष है।
राज्य आयोग ने जिला आयोग के आदेश को अपास्त करते हुए जेडीए को आदेश दिया है की अपीलार्थी से अधिक वसूली गई 351781 रुपए की राशि में ब्याज सहित अदा करें। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता महेंद्र कुमार पारीक व जेठाराम लोहिया स्वयं तथा विपक्षी की ओर से सी.एस. पुरोहित अधिवक्ता उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश