डॉ. काना राम रैगर
15वीं सदी में सामाजिक विषमता, धर्म, वर्ण-वर्ग भेद, पग-पग पर व्याप्त था| अध्यात्म और सनातन संस्कृति के संवाहक संतों ने अपनी वाणी के संदेश द्वारा समसामयिक भेदभाव, जातिगत ऊंच-नीच, रूढ़िवादी परंपराओं एवं अंधविश्वासों को दूर करने के लिए
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