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- डीआरडीओ ने किया 1,084.54 करोड़ रुपये का अनुबंध, 36 महीनों में पूरी होगी परियोजना
नई दिल्ली, 09 जनवरी (हि.स.)। भारत ने एक और मिसाइल परीक्षण रेंज बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जो आंध्र प्रदेश के नागयालंका क्षेत्र में स्थापित की जाएगी। नए रेंज का इस्तेमाल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, टैंक रोधी मिसाइल और सामरिक मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण के लिए किया जाएगा। विशाखापट्टनम की इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मुंबई की कंपनी एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 1,084.54 करोड़ रुपये का अनुबंध दिया है। इस परियोजना को 36 महीनों के भीतर पूरा करने की योजना है।
भारत एक तरफ नई-नई मारक क्षमता वाली मिसाइलें विकसित करके एयरोस्पेस की दुनिया में अपना दबदबा कायम कर रहा है तो दूसरी तरफ भारतीय सेना भी लगातार अपने फायरिंग रेंज बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की केंद्रीय कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने पिछले साल अक्टूबर में आंध्र प्रदेश में एक नई मिसाइल परीक्षण रेंज स्थापित करने को मंजूरी दी थी। नई मिसाइल रेंज आंध्र प्रदेश के नागयालंका क्षेत्र में स्थापित की जाएगी। नए मिसाइल परीक्षण रेंज का इस्तेमाल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, टैंक रोधी मिसाइल और सामरिक मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण के लिए किया जाएगा।
डीआरडीओ ने विशाखापट्टनम में मिसाइल परीक्षण कॉम्प्लेक्स (एमटीसी) के उन्नयन, सामरिक अनुप्रयोग सुविधा (एसएएफ) की स्थापना, उन्नत मिसाइल और लड़ाकू प्रणाली कार्यशाला सुविधा (एएमसीएसडब्ल्यूएफ) के लिए कार्यशाला उपकरण आदि के निर्माण की प्रक्रिया तेज कर दी है। यहां बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली, मानव पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, वर्टिकल लॉन्च की गई छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली और सामरिक डोमेन में शामिल कई अन्य प्रणालियों के परीक्षण किये जा सकेंगे। भारत अभी तक इस तरह के परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से करता है।
विशाखापट्टनम की इस परियोजना का कार्य डिजाइन और बिल्ड मॉडल के तहत काम करते हुए एफकॉन्स कंपनी को सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल कार्यों और आंतरिक साज-सज्जा के साथ 36 महीनों के भीतर पूरा करना है। डीआरडीओ के साथ यह अनुबंध बड़े पैमाने पर रक्षा परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर की विशेषज्ञता को देखते हुए किया गया है। मिसाइलों का परीक्षण करने के लिए ओडिशा के चांदीपुर की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) बनाने की योजना थी, लेकिन मछुआरों और स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद यह योजना अटकती नजर आ रही है। पूर्वी मेदिनीपुर जिले के जुनपुट में मिसाइल प्रक्षेपण केंद्र बनाने का जुलाई में शुरू किया गया कार्य अचानक रोक दिया गया है।
इसके अलावा भारतीय सेना माओवादियों के गढ़ अबूझमाड़ के घने वन क्षेत्र में 545 वर्ग किलोमीटर में फैले एक विशाल सैन्य युद्धाभ्यास रेंज की स्थापना करेगी। इसका उपयोग एकीकृत युद्ध समूहों, स्ट्राइक कोर, लड़ाकू विमानन ब्रिगेड, रॉकेट फोर्स के अभ्यास के लिए किया जाएगा। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में फैला हुआ अबूझमाड़ 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला वन क्षेत्र है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 07 अगस्त को नारायणपुर जिला प्रशासन से अबूझमाड़ के जंगलों के अंदर सेना के युद्धाभ्यास रेंज के लिए 54,543 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करने को कहा है। पत्र में कहा गया था कि अबूझमाड़ के जंगलों में रेंज की स्थापना जिले के ओरछा तहसील के सोनपुर-गरपा क्षेत्र में की जाएगी।
चीन से गतिरोध के बीच उत्तरी सीमा पर भारतीय सेना ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक नई उच्च ऊंचाई वाली पहली फायरिंग रेंज स्थापित की है। यह युद्धाभ्यास रेंज सामरिक युद्ध अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें दुश्मन के टैंकों से बचाव जैसी हमला रणनीति शामिल है। सैन्य अभ्यास करने के लिए जमीन के एक बड़े टुकड़े की आवश्यकता होती है, यही वजह है कि युद्धाभ्यास रेंज का उपयोग किया जाता है। ये रेंज टैंक प्रशिक्षण और विभिन्न युद्धक्षेत्र परिदृश्यों के लिहाज से समर्पित क्षेत्र होता है, जिससे सैनिकों को सुरक्षित वातावरण में अपने कौशल को निखारने में सहूलियत मिलती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम