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रांची, 09 जनवरी (हि.स.)। माइनिंग घोटाले के आरोपित सुनील सिंह ने गुरुवार को सीबीआई की विशेष अदालत में न्यायाधीश पीके शर्मा की कोर्ट में सरेंडर किया। अदालत ने 50-50 हजार रुपये के दो निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर उन्हें सशर्त जमानत दे दी।
सुनील सिंह के खिलाफ जब केस हुआ था, तब वह उषा मार्टिन में कार्यरत थे। लेकिन फिलहाल वह जेएसडब्ल्यू में जीएम के पद पर कार्यरत हैं। उन पर वर्ष 2005 में उषा मार्टिन को माइंस आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप है।
वर्ष 2005 में उषा मार्टिन कंपनी को पश्चिमी सिंहभूम जिले के घाटकुरी में एक लौह अयस्क खदान आवंटित की गयी थी। इसमें कथित रूप से भ्रष्टाचार हुआ था। इस केस के अन्य आरोपित आईएएस अरुण कुमार सिंह और इंद्रदेव पासवान को भी कोर्ट से पिछले दिनों सरेंडर करने पर राहत मिल चुकी है।
सीबीआई के मुताबिक, इस घोटाले में सुनील सिंह की भी भूमिका थी। सीबीआई की दिल्ली इकाई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2016 में 220/2016 एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी। प्राथमिकी में उषा मार्टिन के प्रमोटरों और खनन विभाग के अधिकारियों को आरोपित बनाया गया था।
प्राथमिकी में कहा गया है कि खदान के आवंटन के लिए जो सुझाव केंद्र सरकार को भेजा गया था, उसमें राज्य सरकार के अधिकारियों ने उषा मार्टिन के पक्ष में पक्षपात किया था। कंपनी ने कथित तौर पर वादा किया था कि वह हाट गम्हरिया में स्थित अपने इस्पात संयंत्र में लौह अयस्क का उपयोग करेगी।
कंपनी ने राज्य सरकार को एक अंडरटेकिंग भी दिया था। हालांकि सीबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी बाद में यह कहते हुए इस बात से मुकर गयी कि कैबिनेट नोट में इसका कोई विशेष जिक्र नहीं था।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे