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कोलकाता, 09 जनवरी (हि. स.)। झाड़ग्राम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर दीप्र भट्टाचार्य की आत्महत्या के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब सात नवंबर 2024 को झाड़ग्राम के रघुनाथपुर इलाके के एक लॉज से उनका शव बरामद हुआ। शव के पास एक सिरिंज पाई गई थी, और पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि डॉक्टर ने अपनी पत्नी को आत्महत्या से पहले एक संदेश भेजा था।
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क्या 'थ्रेट कल्चर' बना वजह ?
डॉक्टर दीप्र की मौत को लेकर कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि वे 'थ्रेट कल्चर' यानी धमकी भरी संस्कृति का शिकार थे। इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हीरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा है।
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पुलिस का दावा और प्रारंभिक जांच
डॉक्टर दीप्र का शव मिलने के बाद पुलिस ने हत्या की संभावना से इनकार किया। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि उन्होंने सिरिंज के जरिए अपने शरीर में कोई दवा इंजेक्ट कर आत्महत्या की। उनके शरीर पर किसी प्रकार के संघर्ष या बाहरी चोट के निशान नहीं मिले।
गुरुवार को राज्य सरकार ने अदालत में बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह घटना व्यक्तिगत संबंधों में तनाव का नतीजा है। मृतक के पिता ने भी किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई है। सरकार का कहना है कि 'थ्रेट कल्चर' से इस घटना का कोई संबंध नहीं है। अदालत ने फॉरेंसिक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मामले पर विचार करने की बात कही और सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
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याचिका पर अदालत की नाराजगी
इस मामले में विजयकुमार सिंघल नामक व्यक्ति ने 'थ्रेट कल्चर' को खत्म करने के लिए याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगाई और सवाल उठाया कि जब मृतक के परिवार ने अदालत का रुख नहीं किया, तो यह याचिका क्यों दायर की गई। अदालत ने कहा कि परिवार की निजता का सम्मान किया जाना चाहिए।
अदालत ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस मामले में पीड़िता का परिवार खुद अदालत पहुंचा था, जबकि झाड़ग्राम मामले में ऐसा नहीं हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर