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बिलासपुर, 9 जनवरी (हि.स.)। एयरपोर्ट से नजदीक सेना की जमीन से मुरुम निकालकर बेचने के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई गुरुवार को सुनवाई हुई। जिसमें यह बात भी सामने आई कि, इस निकाली गई मुरुम का इस्तेमाल शहर के 54 कॉलोनी के बिल्डर्स और ठेकेदारों ने किया है। यह बात साफ़ होने के बाद हाईकोर्ट ने खनिज विभाग को पूरी जाँच कर रिपोर्ट पेश करने के कड़े निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में लगातार चल रही सुनवाई में कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
दरअसल चकरभाठा एयरपोर्ट के पास रक्षा मंत्रालय की जमीन से जो 50 लाख घन मीटर मुरुम अवैध रूप से निकाली गई है उससे सरकार को रॉयल्टी में 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस मुरुम का उपयोग परसदा और आसपास की कॉलोनियों की सड़कों के निर्माण में किया गया है। इसे लेकर प्रकाशित खबरों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। इसके बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए सुनवाई शुरू की थी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, रक्षा मंत्रालय और कॉलोनी संचालकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। आज गुरूवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी में यह बात सामने आई कि, शहर के 54 कॉलोनी के बिल्डरों भी इस मुरुम का इस्तेमाल कर रहे हैं । इस पर हाईकोर्ट ने पूरी जाँच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश खनिज विभाग के सचिव को ताजा हलफनामा में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। वहीं मुरूम को कॉलोनियों और खोदने वाली जगह पर सीज कर जांच में मैकेनिज्म की जानकारी मांगी है। अगली सुनवाई 3 फरवरी को सुनिश्चित की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi