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- रोना विल्सन और कार्यकर्ता सुधीर धवले को 2018 में इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था
मुंबई, 08 जनवरी (हि.स.)। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एलगार परिषद मामले में दो आरोपितों रोना विल्सन और सुधीर धवले को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर और मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने की शर्त पर जमानत दे दी। विल्सन और धवले दोनों को 2018 में इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों आरोपितों की जमानत याचिका पर बुधवार को जस्टिस ए एस गडकरी और कमल खता की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई और सुदीप पासबोला ने कहा था कि दोनों आरोपित 2018 से जेल में बंद हैं और विशेष अदालत द्वारा अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि वह इस समय मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं कर रहा है। पीठ ने कहा कि मामले में 300 से अधिक गवाह हैं, और इसलिए मुकदमे का जल्द ही समाप्त होना संभव नहीं है। इस मामले में दोनों आरोपितों को लंबे समय से जेल में रहने और मुकदमा जल्द ही पूरा होने की संभावना न होने की वजह से जमानत दी जा रही है। दिसंबर में, एक विशेष एनआईए अदालत ने कार्यकर्ता रोना विल्सन द्वारा दायर अस्थायी जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जो तलोजा सेंट्रल जेल में बंद है। इसके बाद दोनों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामला मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद सम्मेलन में कथित रूप से भडक़ाऊ भाषण देने से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस एलगार परिषद सम्मेलन के अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भडक़ गई थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जांच अपने हाथ में ले ली।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव