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— आईआईटी में आयोजित कार्यशाला में उन्नत तकनीक की जानकारी ले रहे कुम्हार
कानपुर, 08 जनवरी (हि.स.)। पारंपरिक कला और आधुनिक बाज़ार की मांगों के बीच की खाई को पाटने के लिए आईआईटी कानपुर के रंजीत सिंह रोजी शिक्षा केन्द्र (आरएसके) ने पहल की है। यह कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देकर कुम्हारों को कम लागत में बेहतर उत्पाद तैयार करने की प्रेरणा दे रहा है। इसी के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें सौ कुम्हार भाग ले रहे हैं। कार्यशाल में स्लैबिंग और कॉइलिंग जैसी उन्नत तकनीकों के साथ-साथ मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए कम लागत वाली कुशल भट्टियों के निर्माण से जुड़ी तमाम जानकारियां साझा की गईं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र (आरएसके) कानपुर नगर और कानपुर देहात के कुम्हारों के लिए टेराकोटा पॉटरी कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। यह कार्यशाला छह से 11 जनवरी तक चलेगी। कार्यशाला में कानपुर नगर के बिठूर, बैकुंठपुर, मंधना और पचौर के साथ-साथ कानपुर देहात के सरवनखेड़ा और पुखरायां से 25 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला का संचालन कोलकाता के श्रीनिकेतन विश्व भारती विश्वविद्यालय से टेराकोटा पॉटरी और मूर्तिकला के एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ प्रोफेसर मनोज प्रजापति द्वारा किया जा रहा है। सत्र में आधुनिक ग्लेज़िंग प्रक्रियाओं को भी शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार में उनकी मांग को बढ़ाना है, ताकि कुम्हारों को अपने शिल्प को विकसित करके उपभोक्ता की बदलती प्रथिकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके। इस कार्यशाला का उद्देश्य नई डिजाइन सोच और बेहतर प्रक्रियाओं को पेश करना है, जिससे कुम्हारों को ऐसे उत्पाद बनाने में मदद मिलेगी जो उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षक हों।
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हिन्दुस्थान समाचार / Rohit Kashyap