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आज़मगढ़, 08 जनवरी (हि.स.)। जिले में गैंगस्टर नकदू से नंदलाल बनकर 35 साल से होमगार्ड की नौकरी करने वाला अखिरकार निलम्बित हो गया।
जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने पर पुलिस ने रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत किया है। उस मामले की जांच आरोपी नकदू के भतीजे की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण ने जांच कराई थी। आरोपी नकदू के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती के कई मामले दर्ज थे। सितम्बर 1989 से लेकर 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी करता रहा, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी थी।
भतीजे नंदलाल ने चाचा नकदू के खिलाफ तीन दिसम्बर को डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं। इस पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए।
जांच में सामने आया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मुन्ना यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या की थी। इसके बाद नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। नकदू पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई हुई और उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली गई। जांच में सामने आया कि नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है। कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर वर्ष 1989 में होमगार्ड की नौकरी हासिल की।
आरोपी नकदू ने नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान भी बदल दी। 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी। इसके बाद वह 1990 में आरोपी नकदू से नंदलाल बन गया।
आरोपी नंदलाल यादव पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई कर हिस्ट्रीशीटर में शामिल कर लिया गया था। इसके बाद भी आरोपी ने सितम्बर 1989 को होमगार्ड विभाग ज्वाइन कर लिया।
दिलचस्प बात तो ये है कि हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितम्बर 1992 में हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
एसपी हेमराज मीना ने बताया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र में एक फर्जीवाड़ा कर होमगार्ड की नौकरी करने का मामला सामने आया था। मामले की जांच हुई तो सही पाया गया। नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे पंजीकृत है। उसके द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में परिवर्तन किया गया था। पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था। उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी किस प्रकार से पुलिस को चकमा देकर नौकरी करता था, इसकी भी विभागीय जांच कराई जा रही है कि वह अब तक पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव चौहान