बीसीसीआई को मेल भेजकर उपाध्यक्ष को पद से हटाने की मांग
कानपुर, 07 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) को लेकर इन दिनों शिकायतों की बाढ़ सी आ गई है। अब यूपीसीए समेत बीसीसीआई में बीते कई सालों से विभिन्न पदों पर आसीन रहे पूर्व सचिव और वर्तमान उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को उनके पद से विरक्त क
यूपीसीए की प्रतीकात्मक फोटो


कानपुर, 07 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) को लेकर इन दिनों शिकायतों की बाढ़ सी आ गई है। अब यूपीसीए समेत बीसीसीआई में बीते कई सालों से विभिन्न पदों पर आसीन रहे पूर्व सचिव और वर्तमान उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को उनके पद से विरक्त करने के लिए ई मेल के माध्यम से प्रार्थना पत्र भेजा गया है। माना जा रहा है कि लोढा समि‍ति की सिफारिशों की अवमानना कर रहे यूपीसीए के पूर्व सचिव और उपाध्यक्ष को बीसीसीआई की कार्यालय पदाधिकारियों की समिति से बाहर करने के लिए अब पत्राचार व मेल की बाढ़ सी आ गयी है। अबकी बार ई मेल अलीगढ़ क्रिकेट से जुड़े एक पूर्व पदाधिकारी ने बीसीसीआई के सचिव काे नियुक्त किया है।

यूपीसीए के पूर्व सचिव पर शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह बीते कई सालों से पहले प्रदेश क्रिकेट संघ के सर्वे-सर्वा पद रहे। इसके बाद वह आजीवन सदस्य के रुप में प्रदेश की ओर से बोर्ड में अपनी उपस्थिति बरकरार रखे हुए हैं जो कि लोढा समिति की सिफारिशों का अक्षरश: उल्लंघन माना जा रहा है। यही नहीं वह बोर्ड में उपाध्यक्ष के तौर पर भी अपनी सेवाऐं लगभग एक वर्ष पहले ही समाप्त कर चुके हैं। इसके बावजूद भी वह उस पद पर कैसे टिके हैं? संघ के कुछ पूर्व असन्तुष्ट सदस्यों ने पहले भी उनको प्रार्थना पत्र भेजा है। इस बार शिकायतों का पुलिन्दा और मुद्दा अधिक और बेहद ही गम्भीर है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के दो बार उपाध्यक्ष रह चुके राजीव शुक्ला को उनके पद से मुक्त करने के लिए क्रिकेट समर्थक ने बोर्ड के नव नियुक्त सचिव को प्रार्थना पत्र भेजा है। शिकायतकर्ता ने यह भी मांग की है कि यदि राजीव शुक्ला बतौर उपाध्यक्ष आगामी विशेष आम सभा जो कि 12 जनवरी 2025 को आहूत होनी है, उसमें शामिल होते हैं तो शिकायतकर्ता को सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए विवश होना पड़ेगा। शिकायतकर्ता सर्वोच्च न्यायालय से उनके चुनाव और विशेष आम सभा रद्द करवाने की भी मांग उठाऐंगे, क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय एंव बोर्ड के आदे‍शों की अवहेलना करते नजर आ रहें है। उन्होंने बीसीसीआई सचिव को उन नियमों का उल्लंघन करने की शिकायत भी दर्ज करवायी है जिससे नियम 3(बी)(1)(1) और बीसीसीआई नियम 6(5)(0) के तहत राजीव शुक्ला को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

गौरतलब है कि, लोढा समिति की सिफारिशों के मद्देनजर शिकायतकर्ता के अनुसार राजीव शुक्ला नियमों का उल्लंघन कर रहें है। नियम के मुताबिक एक मंत्री या सरकारी सेवक व 9 वर्षों की संचयी अवधि के लिए बीसीसीआई का पदाधिकारी रहा हो वह पदाधिकारी नहीं रह सकता। जहां तक राजीव शुक्ला के बीसीसीआई में किसी भी पद पर रहने का सवाल है तो राजीव शुक्ला ने पहले सभी 6 वर्षों में प्रत्येक वर्ष के 3 कार्यकाल पूरे किए थे (लोढ़ा सुधारों से पहले, बीसीसीआई पदाधिकारी का 1 कार्यकाल 2 साल के लिए था) और फिर राजीव शुक्ला को 24 दिसम्बर 2020 को बीसीसीआई उपाध्यक्ष के रुप में चुना गया और फिर 18 अक्टूबर 2022 को फिर से बीसीसीआई उपाध्यक्ष के रुप में चुना गया। इस लिहाज से राजीव शुक्ला 24 दिसम्बर 2023 को बीसीसीआई पदाधिकारी के रुप में 9 साल का संचयी कार्यकाल पूरा कर चुकें हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय 14 सितम्बर 2022 के तहत, बीसीसीआई नियम 6(5) (ई) के तहत देश के कानून द्वारा अनुमोदित 'भारत का सर्वोच्च न्यायालय' निम्नानुसार दर्शाता है कि 4 सितम्बर 2022 के फैसले के जरिए बीसीसीआई नियम 6(5) में संशोधन किया गया, जो 14 सितम्बर 2022 से प्रभावी होगा। किसी व्यक्ति को पदाधिकारी, एपेक्स काउंसिल, गवर्निंग काउंसिल या बीसीसीआई की किसी भी समिति का सदस्य होने से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। शिकायतकर्ता ने सचिव को प्रार्थना पत्र भेजकर राजीव शुक्ला को पदमुक्त करते हुए उनका कार्यकाल न बढ़ाने की मांग उठायी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह