क्या चीन में फैला है जानलेवा वायरस?
- राकेश दुबे सारी दुनिया में चर्चा है कि चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस अथवा उसके जैसा ही खतरनाक, जानलेवा वायरस फैला है। चीन खामोश है। क्या चीन इस बार भी संक्रमण के विस्फोट और विस्तार को छिपाए रखेगा? भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इन सवालो
राकेश दुबे


- राकेश दुबे

सारी दुनिया में चर्चा है कि चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस अथवा उसके जैसा ही खतरनाक, जानलेवा वायरस फैला है। चीन खामोश है। क्या चीन इस बार भी संक्रमण के विस्फोट और विस्तार को छिपाए रखेगा? भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इन सवालों के स्पष्टीकरण मांगे हैं। क्या यह संगठन पुष्टि करेगा कि चीन में किस तरह का संक्रमण फैला है और वह भारत सरीखे पड़ोसी देशों के लिए कितना भयावह साबित हो सकता है?

भारत का ‘नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) देश में सांस और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों पर करीबी नजर रखे है। संयुक्त निगरानी समिति जांच कर रही है कि देश पर किसी तरह के वायरस का प्रभाव शुरू हुआ है या नहीं। अलबत्ता जनता को आश्वस्त किया जा रहा है कि फिलहाल चिंता और दहशत की स्थिति नहीं है।

चीन में ‘ह्यूमन मेटापन्यूमो वायरस’ (एचएमपीवी) के संक्रमण फैलने की खबर ही पुष्टि हुई है। यह वायरस भी कोरोना महामारी के वायरस जैसा ही बताया जा रहा है। टीवी चैनलों पर कुछ वीडियो सार्वजनिक हुए हैं, जिनमें चीन के अस्पताल खचाखच भरे दिखाई दे रहे हैं। भीड़ का सैलाब उमड़ा है। लोगों ने मास्क पहने हुए हैं। कुछ चीख-पुकार और कुछ बदहवासी का माहौल दिख रहा है।

ऐसी भी सूचनाएं सार्वजनिक हुई हैं कि चीन में वायरस से मौतों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी आंकड़ा घोषित या सत्यापित नहीं किया गया है। चीन सरकार इस बार भी खामोश है। चीन ने अपने यहां फ्लू के बड़े प्रकोप की खबरों को खारिज किया है। उसका यह रवैया नवंबर, 2019 में भी लगभग यही था, जब कोरोना वायरस का पहला केस, चीन के ही वुहान शहर में सामने आया था। तब उसे ‘रहस्यमयी निमोनिया’ करार दिया गया था।

चीन में ही कोरोना से हुई पहली मौत भी दर्ज की गई थी। कोरोना वैश्विक महामारी दुनिया भर ने झेली और 71 लाख से अधिक मौतें हुईं। भारत में भी करीब 5.5 लाख लोग कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मारे गए। इस त्रासदी को ‘अभूतपूर्व’ माना गया। दुनिया में गैर-सरकारी संगठनों और एजेंसियों ने मौत के आंकड़े कई गुना अधिक बताए थे। बहरहाल कोरोना संक्रमण के तनाव, भय, दंश, मौतों से लेकर आर्थिक तालाबंदी का वह दौर इतना भयावह था कि हम भूल नहीं सकते। भूलना भी नहीं चाहिए।

चीन खुद को एक किले में बंद रखता आया है। वहां सामान्य मीडिया, सोशल मीडिया ही नहीं, लोगों पर भी पाबंदियां हैं कि वे किसी भी तरह की सूचना को सार्वजनिक नहीं कर सकते। जो कहना है, वह चीन सरकार ही कहेगी। वहां जो वायरस फैला है, उसके लक्षण भी कोरोना सरीखे ही हैं। लोगों में तेज बुखार देखा जा रहा है। फेफड़ों में संक्रमण और सांस लेने में परेशानी की खबरें भी आई हैं, लेकिन चीन में इस वायरस का प्रभाव कुछ अलग देखा जा रहा है कि संक्रमण 5 साल की उम्र से छोटे बच्चों में फैल रहा है। कोरोना संक्रमण से बच्चे प्रभावित नहीं हुए थे। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता जन्म से ही मजबूत आंकी गई थी। कोरोना संक्रमण के शिकार बड़ी उम्र के लोग और अधिकतर बुजुर्ग लोग ही हुए।

चीन ने अभी तक सांस संबंधी सामान्य संक्रमण को ही स्वीकार किया है। वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विदेशियों के लिए चीन की यात्रा बिलकुल सुरक्षित है। प्रवक्ता के मुताबिक, सर्दियों के मौसम में संक्रमण चरम पर होता है, लेकिन बीते वर्ष की तुलना में बीमारियां छोटे स्तर पर ही फैल रही हैं। बहरहाल, अब दायित्व विश्व स्वास्थ्य संगठन का है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट करे कि चीन में कोरोना सरीखे वायरस की मौजूदा स्थिति क्या है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी