पांच राज्य विश्वविद्यालयों के बीच ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर
--पूर्वी उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत
*पूर्वी उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत*


*पूर्वी उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत*


*पूर्वी उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत*


गोरखपुर, 07 जनवरी (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के नेतृत्व में पूर्वांचल के पांच राज्य विश्वविद्यालयों के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षर समारोह का आयोजन हुआ। कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में आयोजित इस ऐतिहासिक आयोजन में 13 समझौता ज्ञापन पर पूर्वांचल क्षेत्र के पांच प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपति द्वारा हस्ताक्षर किया गया।

राज्यपाल के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग जैसे NIRF और QS वर्ल्ड रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन के लिए, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसकी मेजबानी कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के कमेटी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो ए के सिंह, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर की कुलपति प्रो कविता शाह, मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो जेपी सैनी तथा जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के कुलपति प्रो संजीत गुप्ता ने अपने विश्वविद्यालय की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

--शैक्षणिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत

गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन की पहल पर आयोजित यह अनूठा सहयोग पूर्वी उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक साझेदारी और समन्वय के एक नए युग की शुरुआत करता है।

--समझौते का उद्देश्य

यह साझेदारी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक उत्कृष्टता, सांस्कृतिक समन्वय और स्थायी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही, यह राष्ट्रीय शैक्षणिक कूटनीति के दृष्टिकोण में सार्थक योगदान देगा। विश्वविद्यालयों के बीच सम्पन्न हुए समझौता ज्ञापन का उद्देश्य आपस में शैक्षणिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही एमओयू का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के बीच शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान पहलों को प्रोत्साहित करना है और छात्रों तथा शिक्षकों के आदान-प्रदान, इंटर्नशिप और संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रमों को सुगम बनाना है। एमओयू का उद्देश्य विभिन्न शैक्षणिक विषयों में स्थायी और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारियां विकसित करना भी है।

--एक दूसरे का हाथ पकड़ हम आगे बढ़ें

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि इन साझेदारियों के माध्यम से विश्वविद्यालय शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हुए हैं। एक दूसरे का हाथ पकड़ कर हम आगे बढ़ें। इससे पूरे क्षेत्र में शोध और शिक्षण को बढ़ावा मिलेगा। हमारे साथ भौगोलिक लाभ है। सभी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में कोलैबोरेटिव रिसर्च की महत्व दिया जाता है। कुलपति ने कहा कि कोर्स डिजाइन से लेकर रिसर्च कोलैबोरेशन में एक दूसरे का सहयोग लिया जाएगा।

--बौद्ध धर्म दर्शन पर सहयोग की सम्भावना

क्लस्टर एमओयू की सराहना करते हुए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कविता शाह ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा ली गई अनूठी पहल है। 75 वर्ष से स्थापित गोरखपुर विश्वविद्यालय के अनुभव के साथ हम नए विश्वविद्यालय मिलकर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म दर्शन पर कार्य कर रहा है इस क्षेत्र में हम सब मिलकर शैक्षणिक एवं शोध में सहयोग कर सकते हैं।

एमएमयूटी के कुलपति प्रोफेसर जेपी सैनी ने कहा कि बाकी सारे विश्वविद्यालय कंसल्टेंसी के क्षेत्र में उनसे सहयोग ले सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जॉइंट पब्लिकेशन और पेटेंट को बढ़ावा देने पर जोड़ दिया। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ए के सिंह ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय मिलकर गोद लिए गए गांवों में शिक्षा और चिकित्सा दोनों को पहुंचकर सामाजिक सरोकार निभाएं। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के कुलपति प्रो संजीत गुप्ता ने कहा कुलाधिपति का भी यही संदेश है कि सभी विश्वविद्यालय को साथ मिलकर आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय के अंतर्गत कई ऐसे बहुत पुराने महाविद्यालय हैं जहां पर कृषि पढ़ाई जाती रही है। हम सब कृषि के क्षेत्र में व्यापन सहयोग कर सकते हैं।

--नवीन अनुसंधान अवसरों और संयुक्त कार्यक्रमों का होगा मार्ग प्रशस्त

यह समझौता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावशाली साझेदारियां स्थापित करने और नए शैक्षणिक गठबंधनों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह सहयोग नवीन अनुसंधान अवसरों और संयुक्त कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अवसर पर कुलपति पूनम टंडन ने कहा, “ये समझौते हमारे साझेदारी का विस्तार करने, शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावकारी सहयोग को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता में एक मील का पत्थर हैं। हमें विश्वास है कि ये सहयोग अनुसंधान, शिक्षण और सीखने में उल्लेखनीय प्रगति की ओर ले जाएंगे, जिससे न केवल हमारे संस्थान बल्कि पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।” यह पहल पूर्वी उत्तर प्रदेश के शैक्षणिक परिदृश्य को बदलने और वैश्विक शैक्षणिक समुदाय में योगदान करने के प्रति इन संस्थानों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सभी पांच विश्वविद्यालय के अधिकारीगण तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल के निदेशक, प्रवेश सेल के निदेशक, इंटरनेशनल सेल के निदेशक मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय