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खूंटी,6 जनवरी (हि.स.)। कर्रा प्रखंड के डहकेला सिथत राजकीय मध्य विद्यालय के खेल मैेदान को बेचे जाने का वहां के छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया है। खेल मैदान को बेचने के विरोध में सोमवार को ग्रामीणों की बैठक खेल मैदान में आयाजित की गई। बैठक में स्कूल के प्रधानाध्यापक
सहित कई शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया। बैठक में वक्ताओें ने कहा कि 1949 ईस्वी मं जरियागढ़ के तत्कालीन राजा ठाकुर महेंद्र नाथ शाहदेव ने स्कूल के नाम पर जीन जान दी थी। उसी चार एकड़ 59 डिसमिल में स्कूल और खैल मैदान का संचालन होता है। ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल मैदान बचने के विरोध में आठ जनवरी को उसी स्थान पर ग्रामीणों की विशालसभा आयोजित की जायेगी और मैदान कों बचाने के लिए आगे की रणनीति बनाई जायेगी।
मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय एरियल कंडुलना ने कहा कि 1949 से खेल मैदान पर स्कूल का कब्जा है। स्कूल के सभी तरह के आयोजन उसी मैदान में किया जाता है। उन्होंने कहा कि 1990 कें पंडा पर्चा में भी इसका जिक्र है। उन्होंने कहा कि 1949 से 1975 तक विद्यालय का संचालन आदिम जाति सेवा मंडल द्वारा किया जाता था। 1975 से इसका सरकारीकरण हुआ। पिछले 74 वर्षों से मैदान पर स्कूल का कब्जा है। इस जमीन को किसी भी हाल में बेचने नहीं दिया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र सिंह ने कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए शिक्षा के मंदिर की जमीन को बचे रहे हैं, इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ठाकुर जयेंद्र नाथ शाहदेेव और प्रतिमा देवी द्वारा उक्त जमीन को गोविंदपुर के रूपेश कुमार सोनी और चिजय कुमार साहू के पास बेच दिया गया। उन्होंने कि स्कूल के मैदान को बचाने के लिए आठ जनवरी को आहूत बैठक में रणनीति बनाई जाएगी और जरूरत पड़ी, तो जम्हार बंद जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उक्त बैठक में विधायक सुदीप गुड़िया को भी आमंत्रित किया गया है।
बैठक में शिक्षक श्याम कुमार साहू, देवेंद्र सिंह, अभय सिंह, गजी सिंह, पारूल होरो, गणेश केशरी,जयपाल लोहरा, भोला गोप, डुडरू पाहन, पवन गोप, सुरेंद्र गोप सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपसिथत थे।
इस संबंध में जमीन को बेचने वाले ठाकुर जयेंद्र नाथ यााहदेव ने कहा कि जमीन उनकी है और ऑन लाइन भी जमीन का खाता प्लॉट चढ़ा हुआ है। कुछ लोग ग्रामीणों को बहका कर इसका विरोध करा रहे है। उन्होंने कहा किं ग्रामीणों की बैठक में डनहें क्यों नहीं बुलाया गया। जब भी ग्रामीणों द्वारा उन्हें बुलाया जाएगा, वे बैठक में अपनापक्ष जरूर रखेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा