Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
नैनीताल, 6 जनवरी (हि.स.)। नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टॉफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सचिव स्वास्थ्य, सचिव समाज कल्याण व कमिश्नर दिव्यांगजन को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 9 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। पूर्व तिथि को कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। जिस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि 13 जिलों में सेंटर तो बनाए गए है लेकिन टिहरी जिले में सारी सुविधाएं उपलब्ध है बाकि 12 जिलों में सेंटर बने हैं लेकिन स्टाफ व अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि टिहरी में पूरी सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण उसको ही केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल रहा है बाकि जिलों में सुविधाएं उपलब्ध नही होने के कारण वे केंद्र की योजनाओं से वंचित हो रहे हैं। जिस पर कोर्ट ने सचिव सचिव स्वास्थ्य सहित अन्य को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की संस्था रोशनी की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि केंद्र सरकार के फंड से जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों में अलग अलग श्रेणी के दिव्यांगजनों की मदद के लिए विशेषज्ञ स्टॉफ की नियुक्ति व अन्य ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं। जिसका समस्त खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है। किंतु टिहरी जिले को छोड़ अन्य जिलों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिस कारण इस अति महत्वपूर्ण सुविधा के लाभ से दिव्यांगजन वंचित हैं ।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / लता