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नई दिल्ली, 6 जनवरी (हि.स.)। डॉलर इंडेक्स की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की चौतरफा बिकवाली के कारण रुपया आज रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट का सिलसिला पिछले साल नवंबर से ही जारी है। इस कारण डॉलर की कीमत 86 रुपये के करीब पहुंच गई है। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से भारतीय मुद्रा की रिकॉर्ड लो क्लोजिंग 85.80 रुपये प्रति डॉलर रही थी, लेकिन आज भारतीय मुद्रा इससे भी नीचे गिर कर 85.83 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई।
मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में आई गिरावट की कई वजहों में से एक बड़ी वजह डॉलर इंडेक्स का मजबूत होना है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से ही डॉलर इंडेक्स में लगातार तेजी बनी हुई है। इसी तरह अमेरिका में 10 ईयर यील्ड भी काफी ऊंचाई पर पहुंचा हुआ है। ग्लोबल मार्केट से भी भारत के पक्ष में कमजोर संकेत मिल रहे हैं। वहीं कच्चे तेल की कीमत में हो रही बढ़ोतरी से भी भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा है। इसके साथ ही घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही बिकवाली और डॉलर की निकासी करने के वजह से रुपये पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
मुद्रा बाजार के एक्सपर्ट राजमोहन सकलेचा का कहना है कि चीनी मुद्रा में आई कमजोरी के कारण भी भारतीय मुद्रा पर असर पड़ा है। आज डॉलर की तुलना में चीनी युआन रेनमिन्बी 7.328 के स्तर पर पहुंच गया है। 2007 के बाद पहली बार चीनी मुद्रा में इतनी बड़ी गिरावट आई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि डॉलर की तुलना में चीनी मुद्रा 7.36 के स्तर तक लुढ़क सकती है। इससे विश्व बाजार में चीन के निर्यातकों का दबदबा बढ़ेगा और भारतीय मुद्रा पर भी दबाव बन जाएगा। सकलेचा के मुताबिक अगर वैश्विक संकेत नेगेटिव बने रहे और भारतीय रिजर्व बैंक ने जल्दी ही हस्तक्षेप नहीं किया, तो रुपये की कीमत में आने वाले दिनों में और गिरावट आ सकती है। इस गिरावट के कारण डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा 86 रुपये के स्तर से भी नीचे जा सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक