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शिमला, 5 जनवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों और कॉलेजों में गैर-शैक्षणिक वीडियो और रील बनाने पर रोक लगा दी गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी स्कूलों और कॉलेजों के प्रिंसिपलों को सख्त निर्देश जारी किए। यह निर्णय शिक्षण संस्थानों में अनुशासन बनाए रखने और विद्यार्थियों के शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने और शैक्षणिक फोकस बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिक्षकों, गैर-शिक्षकों और छात्रों पर नजर रखें, ताकि वे अनावश्यक सोशल मीडिया गतिविधियों में शामिल न हों।
अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी
निदेशालय ने साफ किया है कि निर्देशों का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय को शिक्षकों और कर्मचारियों के स्कूल समय में गैर-शैक्षणिक सामग्री बनाने और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।
उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रिंसिपलों को निर्देश दिए हैं कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने पर ध्यान केंद्रित करें। शिक्षण संस्थानों को ऐसा माहौल प्रदान करने की सलाह दी गई है, जो छात्रों को उनके शैक्षणिक लक्ष्यों की ओर प्रेरित करे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि गैर-शैक्षणिक वीडियो या रील बनाना न केवल शिक्षण प्रक्रिया में बाधा डालता है, बल्कि यह छात्रों को उनकी पढ़ाई से भटकाने का भी काम करता है। ऐसी गतिविधियां छात्रों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में स्कूलों और कॉलेजों के प्रिंसिपलों के साथ समन्वय स्थापित कर इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें। प्रिंसिपलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि संस्थान में कोई भी शिक्षक या कर्मचारी स्कूल समय में सोशल मीडिया का अनुचित उपयोग न करे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करना और उनका सर्वांगीण विकास करना है। इस दिशा में किसी भी प्रकार की बाधा स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों को छात्रों के लिए आदर्श बनना चाहिए और उन्हें शैक्षिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति प्रेरित करना चाहिए।
दरअसल हाल के वर्षों में सोशल मीडिया का प्रभाव शिक्षण संस्थानों तक गहराई से पहुंचा है। कुछ शिक्षक और कर्मचारी पढ़ाई के समय में ऐसी सामग्री बनाते हैं, जो शैक्षणिक, खेल या पाठ्यक्रम से संबंधित नहीं होती। यह सामग्री सोशल मीडिया पर वायरल होती है, जो छात्रों को इन प्लेटफॉर्म्स का अनुचित उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा