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काठमांडू, 05 जनवरी (हि.स.)। नेपाल में डीजल के साथ साथ अब पाइपलाइन के माध्यम से पेट्रोल और मिट्टी के तेल का आयात करने की तैयारी कर रहा है, जो देश की पेट्रोलियम आपूर्ति प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
भारत के मोतिहारी से नेपाल के अमलेखगंज तक पेट्रोल और मिट्टीतेल के परिवहन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इस समय इस पेट्रोलियम पदार्थों भारत से नेपाल में भेजने के काम का परीक्षण चल रहा है।
नेपाल ऑयल निगम (एनओसी) के कार्यकारी निदेशक चंदिका भट्ट ने बताया कि पेट्रोल और मिट्टी के तेल आयात के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा बनकर तैयार है। इस प्रणाली के माध्यम से आंतरिक बाजार वितरण के लिए परीक्षण का काम चल रहा है।
भट्ट ने बताया कि एक बार परीक्षण समाप्त होने के बाद औपचारिक आयात प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे परिवहन लागत में औसतन 2.5 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।
एनओसी के आंकड़ों के अनुसार पाइपलाइन के माध्यम से इस समय डीजल आयात का 60 से 70 प्रतिशत इस मार्ग से आता है। पाइपलाइन के माध्यम से डीजल आयात 11 सितंबर 2019 को शुरू हुआ था। अब जल्द ही पेट्रोल और मिट्टी तेल का भी आयात शुरू हो जाएगा।
परीक्षण में टैंकरों पर पाइपलाइन-परिवहनित पेट्रोल लोड करना और सुरक्षा लॉकिंग सिस्टम स्थापित करना शामिल है। परीक्षण चरण के दौरान, 5500 किलोलीटर पेट्रोल और 1000 किलोलीटर मिट्टीतेल पहले ही आयात किया जा चुका है।
पिछले पांच महीनों में नेपाल ने 4,72,807 किलोलीटर डीजल और 3,06,229 किलोलीटर पेट्रोल का आयात किया है। ये आंकड़े विभिन्न प्रवेश बिंदुओं से देश में लाए गए पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कार्यकारी निदेशक भट्ट ने कहा कि पाइपलाइन से आयात के कारण परिवहन लागत में कमी से उपभोक्ता कीमतों में 2.5 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आएगी ही साथ ही यह तेल रिसाव के साथ अनियमितताओं को कम करेगा और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करेगा।
पाइपलाइन प्रणाली आपात स्थिति के दौरान बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादों के तेजी से आयात को भी सक्षम बनाती है। मौजूदा पाइपलाइन प्रति घंटे 200,000 से 300,000 लीटर पेट्रोल को आयात किया जा सकता है। जबकि इसी मात्रा में भारत से काठमांडू तक टैंकर के माध्यम से तेल आयात करने में कम से कम तीन दिन लगते हैं।
नेपाल-भारत पेट्रोलियम पाइपलाइन दक्षिण एशिया की पहली अंतरराष्ट्रीय पाइपलाइन है। यह 69.2 किलोमीटर तक फैला है, जिसमें सभी प्रकार के पेट्रोलियम उत्पादों को एक पाइपलाइन के माध्यम से ले जाया जाता है। इस पूरी परियोजना को भारत सरकार के पूर्ण आर्थिक सहयोग से निर्माण किया गया है। भारत सरकार के तरफ से रक्सौल अमलेखगंज के अलावा अब विराटनगर जोगबनी और सिलीगुड़ी से पानीटंकी तक भी इसी तरह की पाइपलाइन निर्माण का कार्य शुरू किया जा चुका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास