Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
-आइडिया बैंक से बिहार आने वाले दिनों में गौरवान्वित महसूस करेगा
नई दिल्ली/पटना, 04 जनवरी (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्पोकेन इंग्लिश संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ. बीरबल झा के मार्गदर्शन में शनिवार को यहां आयोजित एक समारोह में विश्व का पहला आइडिया बैंक की शुरुआत की गई। इसका शुभारंभ करते हुए ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ. बीरबल झा ने कहा कि आने वाले दिनों में इस बैंक की गतिविधियों से बिहार अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेगा।
डॉ. झा ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। हमारी बौद्धिकता और नवाचार का आलम यह था कि हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों, नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय आदि में विश्वभर के छात्र पढाई करने आते थे और समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में अपना योगदान दिया करते थे। झा ने कहा कि बिहार को ज्ञान की धरती कहा जाता था। नेपाल के कपिलवस्तु ने जन्म लेने वाले गौतम बुद्ध को भी बिहार में ही बौधत्व प्राप्त हुई थी।
उन्होंने आगे कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य को भी यहीं के विद्वान मंडन मिश्र ने चुनौती दी थी। मंडन मिश्र तो आदि गुरु को परास्त नहीं कर सके, लेकिन उनकी पत्नी विदुषी भारती के हाथों शंकराचार्य को पराजित होना पड़ा। रानी लखिमा, गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषियों और आर्यभट्ट आदि धरोहर से बिहार आज भी गौरवान्वित होती है। आधुनिक काल में भी हम महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की मेधा से बिहार का हर बच्चा परिचित है। लेकिन बिहार का दुर्भाग्य यह है कि हमने अपनी बौद्धिक क्षमता और नवाचार का व्यावसायिक उपयोग कर पाने में अब तक असफल रहे हैं।
डॉ. झा ने कहा कि आज वैश्विक पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था के दौर में चूंकि हमने अपनी इन उपलब्धियों को संकलित और संरक्षित नहीं किया इसी कारण हम आज विकास के दौर में पिछड़ेपन के शिकार हुए। इन्हीं उपरोक्त परिस्थितियों के मद्देनजर इस आइडिया बैंक की स्थापना करने का विचार प्रकाश में आया। बीरबल झा ने कहा कि इस योजना के पीछे लगातार कई महीनों से शोध की प्रक्रियागत और प्रक्रियात्मक विश्लेषण की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस बैंक के माध्यम से हमलोग बिहार के कोने-कोने में स्थित स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों आदि में जाकर आइडियाज संकलित कर इसका व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। पूंजीवादी अर्थ-व्यवस्था के दौर में ऐसा तो कहा जाता है कि पैसा से पैसा बनाया जाता है लेकिन यह कोई नहीं कहता कि आइडियाज से भी पैसा बनाया जा सकता है। इस आइडिया बैंक के माध्यम से हम बिहार के लोगों को हम उनकी बौद्धिक संपदा से भी पैसा कमाना सिखायेंगे। इस बैंक के माध्यम से लोग आइडियाज की खरीद, बिक्री आदि भी कर सकेंगे। साथ ही जनहित में जो कोई भी अपनी आइडियाज डोनेट करना चाहेंगे उन्हें यह उपक्रम ऐसी सुविधा भी प्रदान करेगा।
हम यह साबित करेंगे कि भारत यदि एक समय सोने की चिड़िया या विश्व गुरू था तो केवल इसलिए नहीं कि हमारे पास स्वर्ण भंडार था बल्कि इसलिए कि हमारे पास नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे जहाँ सारे विश्व के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं बागीश कुमार और बिरजू कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर