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भोपाल, 4 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसके बाद मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने शनिवार को जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी नर्सिंग और बीएससी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता सूची जारी की है। इस सूची के अनुसार प्रदेश के 666 नर्सिंग कॉलेजों में से केवल 294 को मान्यता दी गई है। इसमें भोपाल के 29 नर्सिंग कॉलेज शामिल हैं, इसमें मुख्य रूप से आरकेडीएफ, पीपुल्स कॉलेज, जय नारायण कॉलेज, राजीव गांधी, वीएनएस और टीआईटी जैसे कॉलेज शामिल हैं।
मान्यता केवल उन्हीं कॉलेजों को दी गई है जिन्हें सीबीआई की दोनों जांच और हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने सूटेबल (उपयुक्त) पाया है। इसमें जीएनएम और बीएससी नर्सिंग के कुल 294 कॉलेजों को मान्यता दी गई है। इन कॉलेजों में सीटों की संख्या 14680 है। हालांकि कॉलेजों का फीस निर्धारण नहीं किया गया है। साथ कॉलेजों को काफी लेट मान्यता दी गई है। जिस पर सवाल उठ रहे हैं।
बता दें कि जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) एक डिप्लोमा कोर्स है। यह कोर्स तीन साल का होता है। जिसमें छह महीने की इंटर्नशिप शामिल होती है। वहीं बीएससी नर्सिंग (बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग) एक स्नातक स्तर का कोर्स है यह कोर्स चार साल का होता है।
कॉलेजों को मिली मान्यता और उनकी सीटें
-जीएनएम नर्सिंग कॉलेजों की संख्या- 138-बीएससी नर्सिंग कॉलेजों की संख्या- 156
कॉलेजों की सीटें
- जीएनएम नर्सिंग की कुल सीटें: 6816- बीएससी नर्सिंग की कुल सीटें: 7864
काउंसिल का गंभीर लापरवाही का आरोपकालेजों की मान्यता जारी होने के बाद एसएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सत्र 2024-25 की मान्यता जनवरी 2025 में जारी करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। आधा से ज्यादा सत्र बीत चुका है, जिससे न केवल छात्रों के सिलेबस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, बल्कि हजारों छात्र अन्य राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
फीस निर्धारण और छात्रवृत्ति का मुद्दा भी उठाया
रवि परमार ने यह भी मांग की कि नर्सिंग कॉलेजों की फीस संरचना को तुरंत निर्धारित किया जाए ताकि कॉलेज संचालक छात्रों से मनमानी फीस वसूल न सकें। वर्तमान में फीस को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने से छात्र और उनके अभिभावक आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि इन मुद्दों का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो वह बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगी। छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए एनएसयूआई सड़क से लेकर हर मंच तक लड़ाई लड़ेगी। परमार ने यह भी बताया कि पिछले चार वर्षों से नर्सिंग छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी गई है, जिससे कई छात्र आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। यह न केवल शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
एनएसयूआई ने सरकार से प्रमुख मांगें की
1. नर्सिंग कॉलेजों की फीस का निर्धारण कर मनमानी वसूली पर रोक लगाई जाए।2. नर्सिंग छात्रों की लंबित छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए।3. छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त कक्षाओं और अन्य सहायता की व्यवस्था की जाए।4. फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई तो करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन ।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर