कांग्रेस ने जीएसटी संग्रह में गिरावट पर जताई चिंता, कहा- नए बजट में मध्यम वर्ग को कर राहत दी जाए
नई दिल्ली, 3 जनवरी (हि.स.)। कांग्रेस ने देश की आर्थिक स्थिति को चिंताजनक बताते हुए सरकार से नए बजट में इस ओर खास ध्यान देने की जरूरत बताई है। पार्टी का कहना है देश के आर्थिक ग्रोथ और जीएसटी संग्रह में गिरावट गंभीर चिंता का विषय है। कांग्रेस के महास
कांग्रेस नेता जयराम रमेश


नई दिल्ली, 3 जनवरी (हि.स.)। कांग्रेस ने देश की आर्थिक स्थिति को चिंताजनक बताते हुए सरकार से नए बजट में इस ओर खास ध्यान देने की जरूरत बताई है। पार्टी का कहना है देश के आर्थिक ग्रोथ और जीएसटी संग्रह में गिरावट गंभीर चिंता का विषय है।

कांग्रेस के महासचिव (संचार) एवं सांसद जयराम रमेश ने आज यहां एक वक्तव्य में कहा कि देश में आर्थिक मोर्चे पर निराशाजनक स्थिति है। आर्थिक ग्रोथ में गिरावट से लेकर जीएसटी राजस्व संग्रह तक खराब हालत में है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यह वक्त की मांग है कि सरकारी तंत्र अपना ध्यान पॉपकॉर्न पर टैक्स लगाने से हटाकर अर्थव्यवस्था की जटिलताओं से निपटने पर केंद्रित करे। लगभग एक महीने बाद पेश होने वाले केंद्रीय बजट में देश के गरीबों को आय सहायता और मध्यम वर्ग के लिए कर राहत प्रदान की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2024 के ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले महीने जीएसटी संग्रह साढ़े तीन साल में दूसरी बार सबसे धीमी गति से बढ़ा है। रिफंड के समायोजन के बाद शुद्ध जीएसटी संग्रह घटकर 3.3 प्रतिशत रह गया है, जो चालू वित्त वर्ष में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले, मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में सरकार ने जीएसटी संग्रह में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है जबकि बजट अनुमान में 11 प्रतिशत की वृद्धि की बात थी। राजस्व संग्रह में यह गिरावट सरकार के लिए मनरेगा जैसे सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों में और कटौती करने की वजह नहीं हो सकती है, वो भी ऐसे समय में जब ग्रामीण मजदूरी स्थिर रही है और खपत में कमी आई है। इसके बजाय सरकारी व्यय को अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

जयराम रमेश ने कहा कि पिछले महीने के शुद्ध संग्रह में इस नरमी के एक हिस्से के रूप में करदाताओं को रिफंड में 45.3 प्रतिशत की वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। कुछ हद तक यह सही भी है लेकिन इन रिफंड्स का एक महत्वपूर्ण भाग धोखाधड़ी से भरे होने की आशंका है। जीएसटी प्रणाली की जटिलता के कारण विशेष रूप से खामियों से भरे सॉफ्टवेयर सिस्टम के साथ मिल जाने पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गुंजाइश होती है। इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी विशेष रूप से आम बात है, केवल 12 प्रतिशत की वसूली दर के बीच 35,132 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की पहचान की गई है। आपूर्ति शृंखला के कमज़ोर ट्रैकिंग सिस्टम का मतलब है कि ख़रीदार आपूर्ति प्राप्त किए बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं और अक्सर धोखाधड़ी वाले रिफंड को लेने के लिए झूठे चालान का उपयोग करते हैं या टर्नओवर को बढ़ाते हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि न्यूनतम सत्यापन और ऑनलाइन पंजीकरण के दौरान फिजिकल जांच न होने से भी फ़र्ज़ी कंपनियां बन रही हैं, जो वास्तविक संचालन के बिना ही रिफंड मांगती हैं। फर्मों ने उन निर्यातों पर भी रिफंड क्लेम किया है, जो इस तरह के लाभों के लिए योग्य नहीं हैं। जीएसटी के लिए पर्याप्त प्रवर्तन तंत्र का न होना वित्त पर प्रतिबिंबित होने लगा है। यह गिरावट एक गहरे आर्थिक संकट के बुनियादी मुद्दे को भी प्रतिबिंबित करती है। जुलाई-सितंबर 2024 के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर मात्र 5.4 प्रतिशत रह गया था, जो 5.4 प्रतिशत की समान रूप से कमज़ोर निजी निवेश ग्रोथ के बराबर था। उपभोग वृद्धि स्थिर हो गई है, जिसके कारण भारतीय उद्योग जगत से सार्वजनिक संकट को लेकर आवाजें उठ रही हैं। उन्होंने मांग की कि जीएसटी-2.0 उस रूप में लाया जाए, जैसा कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान मांग कर रही थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव