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कानपुर, 29 जनवरी (हि.स.)। आईआईटी कानपुर के रणजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र ने बुधवार को डिज़ाइन डेवलपमेंट सेंटर कला ग्राम की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य नवाचार के माध्यम से पारम्परिक शिल्प को संरक्षित और पुनर्जीवित करना है। यह केंद्र कारीगरों के लिए नई सामग्री तकनीक और बाज़ार के रुझानों का पता लगाने के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा। जो उत्पादों को सह-निर्माण करने के लिए शीर्ष संस्थानों के युवा डिजाइनरों के साथ सहयोग को बढ़ावा देगा।
उद्घाटन के दौरान आईआईटी निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा रणजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र में कला ग्राम का शुभारंभ पारम्परिक कारीगरों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईआईटी कानपुर के संकाय और बाहरी विशेषज्ञों को एक साथ लाकर, हमारा उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों के शिल्प कौशल को बढ़ाना और उनके उत्पादों को अधिक मूल्यवान बनाना है। आरएसके परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रो. संदीप संगल ने आरएसके के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चों को मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना और ग्रामीण युवाओं को रोजगार योग्य कौशल प्रदान करना हमारा मकसद है। उन्होंने बताया पिछले तीन वर्षों में हमने एक हजार से अधिक ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया है और हमारा लक्ष्य उन्हें अपनी खुद की उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने और नौकरी सृजक बनने के लिए सशक्त बनाना है। यह केंद्र शुरू में बिठूर की मिट्टी के बर्तन कालपी के हस्तनिर्मित कागज और कानपुर के घरेलू सामान पर ध्यान केंद्रित करेगा। साथ ही कारीगरों को नए औजारों और तकनीकों का प्रयोग करने, बाजार के रुझान जानने और पैकेजिंग रणनीतियों को सीखने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप