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महाकुम्भ नगर, 21 जनवरी (हि.स.)। संगम की पवित्र धरती पर चले रहे विश्व के सबसे बड़े मेले महाकुम्भ में आयुर्वेद के उत्पाद छाये हुए ।हैं वहीं आयुर्वेद के तमाम नए रंग भी आपको मेले में देखने को मिलेगें। बॉडी मसाज के लिए विभिन्न तरह के तेल, चेहरे और सौंदर्य को बनाए रखने के लिए तमाम तरह की क्रीम, पेय उत्पाद। सब कुछ धीरे-धीरे आयुर्वेद के अनुसंधान की दुनिया में आ रहे बदलाव का संदेश दे रहे हैं। महाकुम्भ मेले में युवा अच्छी संख्या में आ रहे हैं। ऐसे में कम्पनियों का फोकस युवा वर्ग पर है। युवाओं की मांग के अनुसार ब्यूटी और हेल्थ प्रोडक्टस का अधिक प्रचार कर रही हैं।
मेले की सबसे खास बात यह भी है कि करीब-करीब हर स्टॉल पर ब्यूटी, यौवन और इम्युनिटी को बनाए रखने के उत्पाद छाए हुए हैं। आपको इस मेले में तरह तरह से लेप, उबटन, तेल भी मिलेंगे। कम्पनियां श्रद्धालुओं को आकर्षक ऑफर और छूट दे रही हैं।
एमिल आयुर्वेद अपने क्षेत्र की पुरानी कम्पनी है और पूरी श्रृंखला के साथ बदलते आयुर्वेद के परिदृश्य को बताने की कोशिश कर रही है। एमिल के प्रतिनिधि शुभम ने बताया, ‘आयुर्वेद को लेकर लोगों की धारणा अब बदली है।’ उनके अनुसार, ‘कोरोना के समय आम लोगों को आयुर्वेद की ताकत का एहसास हुआ। और आयुर्वेद की तरफ लोग दोबारा आकर्षित हुए। अब बुजुर्गों के अलावा युवा भी आयुर्वेदिक उत्पादों का धड़ल्ले से यूज और खरीद रहे हैं। युवा फेस वॉश और ब्यूटी प्राेडक्ट ज्यादा खरीदते हैं।’
बैधनाथ आयुर्वेद के प्रतिनिधि हरिकेश तिवारी बताते हैं, ‘मेले में आने वाले श्रद्धालुओं का आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रति उत्साह देखने वाला है।’ वो कहते हैं, ‘आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कम्पनियां अब पेट के चूर्ण या च्यवनप्राश तक सीमित नहीं हैं। बदलते वक्त के हिसाब से कम्पनियों ने अपने प्रोडक्ट का विस्तार किया है।’ वो बताते हैं, ‘युवा आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्टस की ज्यादा मांग करते हैं।’
हिमालय आयुर्वेद के प्रतिनिधि अनिकेत सिंह बताते हैं, ‘अब प्योरिटी, आर्गेनिक और आधुनिक रूप रंग में केमिकल फ्री मेडिसन की तरफ आयुर्वेद बढ़ रहा है। युवा फेस वॉश और ब्यूटी प्राेडक्ट की डिमांड कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि प्रचार के लिए फेस वॉश के मुफ्त सैंपल बांटे जा रहे हैं।
हीलिंग फॉर्मा के प्रतिनिधि नीरज भावसार बताते हैं कि, ‘कोरोना ने भारतीय समाज को भी बदला है।’ वो कहते हैं कि हमारी कंपनी पहले एलोपैथिक दवाएं बनाती थी, कोरोना काल में आयुर्वेद के प्रति बढ़ते आम लोगों के रूझान के मद्देनजर कम्पनी ने आयुर्वेदिक दवाएं बनानी शुरू की।; उन्होंने बताया कि, ‘कुंभ मेले के माध्यम से कम्पनी ने उत्तर प्रदेश में लॉचिंग की है।’ पेट की समस्याओं के लिए ‘यम्मी जाइम’ सिरिप को मुख्य तौर पर कम्पनी प्रचारित कर रही है। भावसार कहते हैं, 'यूथ में तो आयुर्वेदिक प्रोडक्टस को लेकर दीवानगी सी देखने को मिल रही है। इसलिये कंपनियां पारम्परिक उत्पादों और दवाईयों के साथ ब्यूटी, हेल्थ और फिटनेस प्राेडक्टस पर फोकस कर रही हैं।'
पतजंलि आयुर्वेद के प्रतिनिधि अंश सिंह ने बताया, ‘अब इम्युनिटी बूस्टर की मांग बढ़ी है और च्यनप्राश, आयुर्वेद पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हुए हैं।’ द आर्य वैदिक फार्मेसी के प्रतिनिधि ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि, ‘ कोरोना के बाद लोगों का इस तरफ तेजी से रुझान बढ़ा है।’ कम्पनी ने कुंभ के दौरान आयुर्वेदिक काढ़ा कॉफी फ्लेवर में ‘चुकू कॉफी’ को लांच किया है। जिसका स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहा है।
एम्बिल वेलनेस के प्रतिनिधि आशुतोष तिवारी कहते हैं, ‘युवा स्वर्ण भस्म, काम दुधारस जैसी पुरानी पद्धतियों से कुछ अधिक की जानकारी लेने यहां आ रहे हैं। शिलाजीत के भिन्न भिन्न उत्पाद भी युवाओं को पसंद आ रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि, बुजुर्ग च्यवनप्राश और बादामप्राश की ज्यादा मांग करते हैं।’
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य अजय शर्मा कहते हैं, ‘पहले आयुर्वेद केवल वैद्य तक सीमित था। अब इसका स्कोप तेजी से बढ़ रहा है। शहरी जीवन जीने वालों में निरोग रहने की भावना बढ़ रही है। कोरोना काल से आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार हजारों करोड़ रुपये का हो चुका है। अब तो लोगों को आयुर्वेद में ही स्वास्थ्य की कुंजी दिखाई देती है।' उनके अनुसार, 'युवा आयुर्वेद के प्रति बड़ी तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, यह हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्वतियों के बेहतर भविष्य का सुखद संकेत है।'
हिन्दुस्थान समाचार / Dr. Ashish Vashisht