'एकात्म धाम' में साउंड्स ऑफ़ वननेस, संतों की वाणी में हुआ अद्वैत का गायन
-संतों की अनुभूति अद्वैत ही है : स्वामी वेदतत्त्वानंद पुरी महाकुम्भ नगर, 21 जनवरी(हि. स.)। सेक्टर 18 स्थित एकात्म धाम मंडपम् में संगीतिक प्रस्तुति साउंड्स ऑफ़ वननेस के अंतर्गत तीसरे दिन संतों की वाणी में अद्वैत का गायन हुआ, साथ ही संतों के अद्भुत व
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-संतों की अनुभूति अद्वैत ही है : स्वामी वेदतत्त्वानंद पुरी

महाकुम्भ नगर, 21 जनवरी(हि. स.)। सेक्टर 18 स्थित एकात्म धाम मंडपम् में संगीतिक प्रस्तुति साउंड्स ऑफ़ वननेस के अंतर्गत तीसरे दिन संतों की वाणी में अद्वैत का गायन हुआ, साथ ही संतों के अद्भुत वक्तव्यों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को अद्वैत वेदांत की महिमा से परिचित कराया।

महामंडलेश्वर स्वामी कृष्ण चैतन्य पुरी ने ज्ञानेश्वर जी और वेदव्यास जी का संदर्भ देते हुए कहा, “ज्ञान से ही मुक्ति संभव है, कर्म केवल शुद्धि का साधन है। भक्ति और उपासना अंतिम लक्ष्य नहीं, बल्कि आत्म ज्ञान तक पहुँचने के माध्यम हैं। किसी वस्तु का वास्तविकता में न प्रतीत होना अध्यास है, और यह अध्यास केवल ज्ञान के प्रकाश से समाप्त होता है।” उन्होंने अद्वैत वेदांत को न केवल दर्शन, बल्कि मानवता को मार्गदर्शन देने वाला जीवंत सिद्धांत बताया।

महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने कहा, “अद्वैत का पोषण द्वैत के मिथ्यत्व में है। आत्मा की सत्ता इतनी विशाल है कि वह पंचभूतों और आकाश को भी ढकने की क्षमता रखती है। जब तक जीव अपने जीवत्व का बोध नहीं करता, वह शिव नहीं बनता। अद्वैत वेदांत का प्रचार और प्रसार पूरे विश्व में सांस्कृतिक एकता का आधार बनेगा।” उन्होंने एकात्म धाम को मानवता और एकत्व का धाम बताया।

स्वामी वेदत्त्वानंद पुरी ने ब्रह्म के अस्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह विश्व सत्य प्रतीत होता है क्योंकि इसका अधिष्ठान सच्चिदानंद ब्रह्म है। जैसे रज्जु की सत्ता से सर्प का भास होता है, वैसे ही ब्रह्म की सत्ता के कारण ही जगत में सत्यता का अनुभव होता है।” उन्होंने संत एकनाथ और समर्थ रामदास जी की वाणी का उल्लेख करते हुए अद्वैत वेदांत की वर्तमान प्रासंगिकता पर जोर दिया।

जयतीर्थ मेवुंडी ने “संत वाणी में अद्वैत” से बांधा समां

कार्यक्रम में जयतीर्थ मेवुंडी ने संत वाणी में अद्वैत में अभंग भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम और नामदेव आदि संतों की रचनाओं के माध्यम से भगवान विट्ठल की उपासना की दिव्यता को श्रोताओं तक पहुँचाया। उनकी प्रस्तुति ने अद्वैत वेदांत के साकार और निराकार दोनों पहलुओं को संगीतिक रस से सराबोर कर दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / रजनीश पांडे