भारतीय ज्ञान प्रणाली की बदौलत ही भारत बनेगा विश्वगुरु : प्रो. हरेंद्र
— बीएचयू वाणिज्य संकाय में एक दिवसीय विशेष व्याख्यान,शोध में नवाचार पर जोर वाराणसी,02 जनवरी (हि.स.)। डरबन विश्वविद्यालय,दक्षिण अफ्रीका के प्रो. रवींद्र रेना ने गुरूवार को कहा कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका एवं आ
बीएचयू वाणिज्य संकाय में एक दिवसीय विशेष व्याख्यान


— बीएचयू वाणिज्य संकाय में एक दिवसीय विशेष व्याख्यान,शोध में नवाचार पर जोर

वाराणसी,02 जनवरी (हि.स.)। डरबन विश्वविद्यालय,दक्षिण अफ्रीका के प्रो. रवींद्र रेना ने गुरूवार को कहा कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका एवं आत्मनिर्भर भारत की प्रासंगिकता महत्वपूर्ण है। प्रो.रेना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वाणिज्य संकाय में आयोजित वाणिज्य शिक्षा और शोध विषयक विशेष व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे।

प्रो.रवींद्र ने शिक्षाविदों को ऐसी पुस्तकें लिखने और प्रकाशित करने की सलाह दी, जिन्हें समाज के हर वर्ग द्वारा समझा जा सके। उन्होंने युवा पीढ़ी को शोध और शिक्षा में नवाचार के लिए प्रोत्साहित किया। संकाय के अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष प्रो. हरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि भारत का मौलिक ज्ञान भारतीय भाषाओं में निहित है । जिन्हें पुस्तकों में भी लाना आज की आवश्यकता है। नई शिक्षा पद्धति पर आधारित पाठ्यक्रम को लागू करने के साथ साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली को लागू करने पर प्रो. हरेन्द्र ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु भारतीय ज्ञान प्रणाली की बदौलत ही बनेगा।

दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रो. आर. के. सिंह ने रिसर्च के नये अवसरों के बारे में चर्चा किया और विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शोध पत्र लेखन के लिये प्रोत्साहित किया। व्याख्यान में प्रो. धनंजय साहू, डॉ. लाल बाबू जायसवाल, डॉ मीनाक्षी सिंह, डॉ आलोक, डॉ क़ुरैशी,डॉ सूर्या, डॉ पल्लवी, डॉ शान्तनु सौरभ और शोध छात्र उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी