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-प्रियंका सौरभ
वर्ष 2025 के बारे में चाहे किसी ने आशावादी या निराशावादी विचार व्यक्त किए हों, मगर ये सच है कि इन चिंतकों ने मनुष्य और डिजिटल तकनीकों के निकट भविष्य के लिए अपनी चिंताओं को भी व्यक्त किया है। उनकी ज़्यादातर चिंताएँ प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती शक्ति पर केंद्रित हैं जो लोगों के जीवन में सूचना प्रवाह को नियंत्रित करती हैं और व्यक्तियों की गोपनीयता और स्वायत्तता से समझौता करने की उनकी क्षमता पर केंद्रित हैं।
इसकी बहुत कम संभावना है कि बाज़ार पूंजीवाद और मुनाफ़ा कमाने को प्राथमिकता बनाने की प्रतिस्पर्धी अनिवार्यता को बदलने में सफल होगा। सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए झूठ का प्रसार सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाएगा। कुछ संभावित उपाय नागरिक स्वतंत्रता में बाधा डाल सकते हैं। ऑनलाइन झूठ, गलत सूचना और गलत सूचना का बेकाबू प्रवाह विभाजनकारी, खतरनाक और विनाशकारी है। स्वास्थ्य निगरानी, कार्य-निगरानी और सुरक्षा समाधान जो लागू किए जा सकते हैं, वे बड़े पैमाने पर निगरानी का विस्तार करेंगे और मानवाधिकारों को खतरे में डालेंगे। टेलीवर्क के कारण अधिक व्यावसायिक प्रणालियों और प्रक्रियाओं के तेज़ स्वचालन से मनुष्यों के लिए उपलब्ध नौकरियों की संख्या कम हो रही है। इसके अतिरिक्त इतने ज़्यादा अलगाव के समय में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
मुझे लगता है कि बिगड़ती आर्थिक स्थिति, नागरिक अशांति, अनिश्चित दीर्घकालिक महामारी परिणामों के संगम से प्रौद्योगिकी से सम्बंधित नुक़सान और दुरुपयोग की संभावना अधिक है, विशेष रूप से तब जब उत्पाद, जोखिम मूल्यांकन आदि पर कम कठोरता के साथ बाज़ार में आते हैं। तकनीक हमारे जीवन में और भी व्यापक हो जाएगी, हर पहलू में। यह काम, ज्यादा विकल्प और बेहतर सेवा को सक्षम करेगा, लेकिन इसकी बहुत अधिक क़ीमत चुकानी पड़ेगी। निगरानी में वृद्धि, गोपनीयता की हानि, अधिक जोखिम-व्यक्तियों और राजनीतिक प्रणालियों दोनों के लिए घातक होगा। बिगड़ती आर्थिक स्थिति, नागरिक अशांति, अनिश्चित दीर्घकालिक महामारी के परिणामों का गठजोड़ प्रौद्योगिकी से सम्बंधित नुकसान और दुरुपयोग की ओर ले जाने की अधिक आशंका है। बहुत कम या बिना किसी पारदर्शिता, जवाबदेही या निगरानी के साथ काम करने वाली प्रौद्योगिकी कंपनियों की विशाल और काफी हद तक अनियमित शक्ति चिंताजनक है। साल 2025 आर्थिक, स्वास्थ्य और कल्याण कारकों के आधार पर औसत व्यक्ति के लिए बदतर होगा जिसके परिणामस्वरूप बढ़े हुए कर्ज, कम बचत, कम वेतन वृद्धि जैसे प्रभाव होंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025 कहीं ज़्यादा तकनीक-चालित होगा और ज़्यादा बड़ी चुनौतियाँ पेश करेगा। लोगों के पास काफ़ी कम दोस्त होंगे, क्योंकि नियमित रूप से व्यक्तिगत संपर्क की कमी के कारण रिश्ते कम होते जा रहे हैं। युगल और एकल परिवार पर कुछ हद तक नव-परंपरावादी गहन ध्यान केंद्रित होगा जो कि काफ़ी हद तक दमघोंटू होगा। जीवन अधिक तकनीक-संचालित होगा, जिससे और भी बड़ी चुनौतियाँ सामने आएंगी। लोग अच्छे और बुरे के लिए तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल उपकरणों पर अधिक निर्भरता विकसित कर लेंगे। व्यापक सामाजिक परिवर्तन से ज़्यादातर लोगों के लिए जीवन बदतर हो जाएगा क्योंकि अधिक असमानता, बढ़ता सत्तावाद और बड़े पैमाने पर ग़लत सूचनाएँ समाज पर हावी हो रही हैं। सामाजिक और नस्लीय असमानता बढ़ने, सुरक्षा और गोपनीयता के बिगड़ने और ग़लत सूचना के और अधिक फैलने की आशंका है।
(लेखिका, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश