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फारबिसगंज/अररिया, 19 जनवरी (हि.स.)।सुंदरनाथ धाम का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व काफी पुराना है। बिहार कभी सबसे अमीर और विविध जातीयता का केंद्र था। चाहे रामायण हो, महाभारत हो, या बौद्ध धर्म, इन सभी की बिहार की समृद्ध संस्कृति के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिहार में आज भी बौद्ध काल और महाभारत काल के मंदिर मौजूद हैं, जो अत्यंत लोकप्रिय हैं। आज हम आपको महाभारत काल के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे दो देशों के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। हम बात कर रहे हैं अररिया के सुंदरनाथ धाम शिव मंदिर की, जो अररिया जिले के कुर्साकाटा प्रखंड की डुमरी पंचायत में स्थित है। इस मंदिर में रोजाना भारी संख्या में नेपाली श्रद्धालुओं के साथ भारतीय लोग भी जलाभिषेक करने पहुंचते हैं वही, आगामी 22 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अररिया जिला के कुर्साकांटा प्रखंड में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर सुंदरनाथ धाम में आगमन होने जा रहा है और मुख्यमंत्री अररिया में अपनी प्रगति यात्रा की शुरुआत यही पूजा अर्चना करके करेंगे।
बता दें की महाभारत काल से जुड़े इस मंदिर का काफी विशेष महत्व भी है, जहां कभी पांडवों को अज्ञातवास मिला था और अज्ञातवास में पांडव और माता कुंती नेपाल के राजा विराट के यहां रुके थे और उन्होंने इसी मंदिर में जलाभिषेक कर शिव की आराधना की थी। महाभारत में भी इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि पांडवों का अज्ञातवास राजा विराट के इन्हीं क्षेत्र में गुजारा था इसलिए यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास है। सुंदरी नाथ धाम से एक और इतिहास जुड़ा हुआ है कि सन् 1935 के पहले इस मंदिर पर नागा साधुओं का कब्जा हुआ करता था, लेकिन धीरे धीरे स्थानीय लोगों ने नागा साधुओं से मंदिर को मुक्त कराकर अपने कब्जे में ले लिया और इसमें भव्यता लाना शुरू किया। इसके पहले यह मंदिर फूस की झोपड़ी में था। इस मंदिर से एक और इतिहास जुड़ा हुआ है कि सैकड़ों साल पहले अपने भ्रमण काल के दौरान आदि गुरु शंकराचार्य भी इस धर्मस्थल से होकर यात्रा कर चुके हैं।
सुंदरनाथ मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता और भव्यता के कारण नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मंदिर के दर्शन किये थे।
बता दें कि एक चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अररिया के फारबिसगंज पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भी सुंदरी नाथ मंदिर की चर्चा करते हुए की थी। उन्होंने कहा था- इस मंदिर की जानकारी मुझे मिली है और यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास है।इस प्रांगण में एक भव्य शिव मंदिर है, साथ ही माता पार्वती का भी मंदिर है। मंदिर से करीब एक बड़ा तालाब है, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं और जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / Prince Kumar