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जयपुर, 18 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग संविदा कर्मी से करीब डेढ साल तक काम करवाकर उसे वेतन नहीं देने और बाद में सेवा से हटाने पर पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, सीएमएचओ जयपुर और अमर एसोसिएट सहित अन्य से जवाब तलब किया है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश प्रवेश कुमार बुनकर की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि चिकित्सा विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसी अमर एसोसिएट के जरिए संविदाकर्मी लेने का करार किया था। याचिकाकर्ता दिव्यांग ने 10 जनवरी, 2023 को वार्ड बॉय के लिए आवेदन किया। वहीं उसे 13 अप्रैल, 2023 को गोविंदगढ़ पंचायत समिति के इटावा भोपजी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में नियुक्ति दी गई। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता से सितंबर, 2024 तक काम लिया गया और बाद में उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस अवधि में किए गए काम के बदले न तो प्लेसमेंट एजेंसी ने उसे वेतन के तौर पर कोई राशि दी और ना ही विभाग ने उसे वेतन दिया। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से प्लेसमेंट एजेंसी और स्वास्थ्य विभाग को कई बार पत्र लिखकर भी वेतन देने की मांग की, लेकिन उसके पत्रों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। याचिका में कहा गया कि बिना वेतन दिए सेवाएं लेना बेगार के समान है। ऐसे में उसे बकाया वेतन दिलाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक