गंगासागर मेला : 86 साल के सेन बाबू की अनोखी मुहिम, तीर्थयात्रियों के लिए बना रहे अग्निरोधी शिविर
कोलकाता, 14 जनवरी (हि.स.)। गंगासागर मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन अस्थायी शिविरों में आग लगने का खतरा बना रहता है। इस खतरे को टालने के लिए कोलकाता के 86 वर्षीय स्वपन कुमार सेन पिछले 17 वर्षों से अनथक मेहनत कर रहे हैं। रसायन विज्ञ
सेन बाब


कोलकाता, 14 जनवरी (हि.स.)। गंगासागर मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन अस्थायी शिविरों में आग लगने का खतरा बना रहता है। इस खतरे को टालने के लिए कोलकाता के 86 वर्षीय स्वपन कुमार सेन पिछले 17 वर्षों से अनथक मेहनत कर रहे हैं। रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ सेन अपनी 120 लोगों की टीम के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों के शिविरों को आग से सुरक्षित बना रहे हैं।

गंगासागर में बनाए गए अस्थायी शिविर बांस, होगला पत्तों और कपड़े से निर्मित होते हैं, जो बेहद ज्वलनशील होते हैं। सेन बाबू और उनकी टीम इन्हें खास रसायनों के मिश्रण से अग्निरोधी बना रही है। इस प्रक्रिया के तहत निर्माण सामग्रियों को पहले विशेष रसायनों वाले बड़े जलकुंडों में डुबोया जाता है, फिर सुखाने के बाद उन पर बोरैक्स और अन्य अग्निरोधी रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इससे शिविर आग की चपेट में आने पर भी तेजी से नहीं जलते, जिससे किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सकता है।

गंगासागर में इस काम के लिए दो विशाल जलकुंड बनाए गए हैं, जिनकी लंबाई-चौड़ाई 40-40 फुट और गहराई पांच फुट है। इनमें 10 हजार लीटर पानी में विभिन्न रसायन मिलाए जाते हैं, जिनके छिड़काव से लकड़ी और कपड़े में आग लगने की आशंका कम हो जाती है। मेले के दौरान सेन की टीम इन शिविरों पर नियमित रूप से रसायनों का छिड़काव करती है ताकि सुरक्षा बरकरार रहे।

मेले में खुले में आग जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद कई श्रद्धालु खाना बनाने और सर्दी से बचने के लिए आग जलाते हैं। इससे हादसे का खतरा बना रहता है। सेन बाबू की इस अनोखी तकनीक से आग अगर लग भी जाए तो वह तेजी से नहीं फैलेगी, जिससे लोगों को समय रहते सुरक्षित बाहर निकलने का मौका मिल सकेगा।

17 वर्षों से निःस्वार्थ सेवाकोलकाता के एकडालिया पार्क के निवासी स्वपन कुमार सेन ने जादवपुर विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अमेरिका में केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की। 2007 से वे हर साल गंगासागर मेले में अपनी टीम के साथ आकर इस अग्निरोधी प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं।

गंगासागर ही नहीं बल्कि कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों को भी वे अग्निरोधी बनाने में अपनी विशेषज्ञता दिखा चुके हैं। 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शिरडी दौरे के दौरान भी सेन बाबू ने कार्यक्रम स्थल को अग्निरोधी बनाने का काम किया था।

अब सेन की योजना भविष्य में कुंभ मेले और अन्य बड़े धार्मिक आयोजनों में भी अपनी सेवाएं देने की है ताकि श्रद्धालुओं को आगजनी की घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर