निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने बांहों पर काली पट्टी बांध कार्य किया
— विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का सवाल,क्या होगा हजारों करोड़ रूपये के उपभोक्ताओं के सिक्योरिटी डिपॉजिट और बकाये की राशि का वाराणसी,14 जनवरी (हि.स.)। बिजली के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने मंगलवार को बांहों पर काली पट्टी बांध कार्य किय
निजीकरण के विरोध में काली पट्टी बांधे बिजली कर्मी:फोटो बच्चा गुप्ता


— विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का सवाल,क्या होगा हजारों करोड़ रूपये के उपभोक्ताओं के सिक्योरिटी डिपॉजिट और बकाये की राशि का

वाराणसी,14 जनवरी (हि.स.)। बिजली के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने मंगलवार को बांहों पर काली पट्टी बांध कार्य किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति,उत्तर प्रदेश के आह्वान पर जिले के सभी बिजली उपकेंद्रों आदि के कर्मचारियों ने इसमें भागीदारी की। संघर्ष समिति के अंकुर पांडेय ने बताया कि 15 जनवरी को भी पूरे दिन कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करने और भोजनावकाश या कार्यालय समय के उपरान्त सभी जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं होगी।

प्रदर्शन में शामिल नेताओं ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं के लगभग 2000 करोड़ से ज्यादा रूपया सिक्युरिटी के रूप में जमा है। अकेले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के पास लगभग 500 करोड़ से ज्यादा रूपया सिक्युरिटी के रूप में जमा है और लाखों करोड़ों का विद्युत उपकेंद्रों की जमीन,मशीनरी,कार्यालय, लाइन आदि का एसेट है। साथ ही लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का उपभोक्तओं पर बकाया है। जो आगरा की टोरेंट पावर की तरह वसूलकर अपना जेब गर्म करेंगी। यह एक बड़ा घोटाला है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि बिजली का निजीकरण कतई बर्दाश्त नही होगा। क्योंकि ये बार-बार ऊर्जा प्रबन्धन समझौता करने के बाद मुकर जाता है। और बिजली कर्मियो के साथ आम जनमानस के साथ भी छलावा कर रहे है । पीपीपी मॉडल पर दिल्ली और उड़ीसा में बिजली वितरण का निजीकरण किया गया। यह प्रयोग विफल साबित हुआ है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि बिजली कर्मचारियों के हित में संघर्ष समिति निजीकरण वापस होने तक अपना संघर्ष जारी रखेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी