नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के लिए 'स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास' की थीम पर बिहार की झांकी प्रदर्शन के लिए चयनित
पटना, 14 जनवरी (हि.स.)। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड के लिए बिहार की झांकी में निर्धारित विषय वस्तु 'स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास' की थीम पर प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया है। झांकी में बिहार की समृद्ध ज्ञान एवं शांति की परंपरा क
नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के लिए 'स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास' की थीम पर बिहार की झांकी प्रदर्शन के लिए चयनित


पटना, 14 जनवरी (हि.स.)। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड के लिए बिहार की झांकी में निर्धारित विषय वस्तु 'स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास' की थीम पर प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया है। झांकी में बिहार की समृद्ध ज्ञान एवं शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष एवं शांति की भूमि रही है। झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध को प्रदर्शित किया गया है।

मंत्री महेश्वर हजारी ने सूचना भवन के 'संवाद कक्ष में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में अवस्थित है, जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं। वर्ष 2018 में स्थापित एक ही पत्थर से बनी 70 फीट की भगवान बुद्ध की इस अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील का विकास इको टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार सरकार का अनूठा प्रयास है।

महेश्वर हजारी ने कहा कि बिहार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त समृद्ध है। झांकी में प्राचीन नालन्दा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया गया है, जो इस बात के साक्षी हैं कि चीन, जापान एवं मध्य एशिया के सुदूरवर्ती देशों से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे। उन्होंने कहा कि नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं। इन भग्नावशेषों का संरक्षण एवं संवर्द्धन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से नालन्दा का प्राचीन गौरव पुर्नस्थापित हो रहा है। यह स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। बिहार सरकार बिहार की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील है। मूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में प्राचीन नालन्दा के भग्नावशेषों सहित अन्य धरोहरों को संजोने के साथ-साथ उस क्षेत्र का समेकित विकास भी सुनिश्चित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक यहां आएं एवं बिहार की विरासत से रूबरू हो सकें।

प्राचीन नालन्दा को ज्ञान केन्द्र के रूप में पुर्नस्थापित करने की दृष्टि से राजगीर में ही अन्तरराष्ट्रीय नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है। प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय की वास्तुकला पर आधारित इस आधुनिक संरचना में सारिपुत्र स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार तथा पारम्परिक बरामदे की अवधारणा को दर्शाया गया है। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से निर्मित इन संरचनाओं से यह विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल तथा नेट जीरो कैम्पस के रूप में स्थापित हुआ है।

मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालन्दा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण के लिए किए जा रहे राज्य सरकार के प्रयासों को दर्शाने की कोशिश की गयी है। साथ ही नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहार को पुनः शिक्षा के मानचित्र पर वैश्विक रूप में स्थापित करने के प्रयास को दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के बिहार सरकार के अनूठे प्रयास को भी दर्शाया गया है।

-----------

हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी