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महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी (हि.स.)। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुम्भ पर्व की शुरूआत हो गयी। घने कोहरे और ठण्ड के बीच ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से ही महाकुंभ में पवित्र कल्पवास की शुरुआत होगी।
आचार्यों के अनुसार, महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद दो बेहद शुभ काम करना चाहिए। महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद आपको किसी न किसी प्राचीन मंदिर के दर्शन करना चाहिए। आप लेटे हुए हनुमान जी, नागवासुकी या फिर किसी भी धार्मिक और प्राचीन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इन मंदिरों में दर्शन करने के साथ ही वहां का प्रसाद भी ग्रहण करना चाहिए। माना जाता है कुंभ में डुबकी लगाने के बाद मंदिरों का दर्शन करने पर ही आपकी यात्रा पूरी होती है। महाकुंभ की डुबकी और उसके बाद मंदिर का दर्शन करके सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा।
पूर्णिमा को स्नान दान का विशेष महत्वआचार्य अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, धर्मशास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा को स्नान-दान का विशेष महत्व वर्णित है, जो व्यक्ति पूरे माघ मास के लिए स्नान का व्रत धारण करते हैं वह अपने स्नान का प्रारंभ पौष पूर्णिमा से शुरू कर माघी पूर्णिमा को समापन करते हैं। इस दिन स्नान के पश्चात मधुसूदन भगवान की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाता है, जिससे मधुसूदन की कृपा से मृत्योपरान्त भक्त को स्वर्ग में स्थान मिल सके, ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं।
महाकुम्भ के पवित्र स्नान
13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा
14 जनवरी (मंगलवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), मकर सक्रांति
29 जनवरी (बुधवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), मौनी अमावस्या
3 फरवरी (सोमवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), बसंत पंचमी
12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
26 फरवरी (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि
हिन्दुस्थान समाचार / Dr. Ashish Vashisht