Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
धमतरी, 13 जनवरी (हि.स.)। दस गरीब परिवार की महिलाएं समूह बनाकर आठ साल पहले मुर्रा लड्डू निर्माण से काम शुरू की थी। व्यवसाय चला, तो महिलाओं ने अपना व्यापार बढ़ाया। आज मुर्रा लड्डू निर्माण, केंटिन संचालन और लाखों के पापड़ निर्माण की मशीन खरीदकर महिलाएं स्वयं आत्मनिर्भर हुई और अन्य महिलाओं व युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने में जुट गई है, जो अन्य समूह की महिलाओं के लिए यह समूह प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
धमतरी शहर के अंबेडकर वार्ड की झुग्गी बस्ती में रहने वाली 10 परिवार की महिलाएं आठ साल पहले गरीबी से जूझ रही थी। घर के पुरुष सदस्य छोटे-मोटे काम कर परिवार का गुजर-बसर कर रहे थे, जबकि महिलाएं घरों की दयनीय स्थिति से चिंतित थीं। इन कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए महिलाओं ने शासन के राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन एनयूएलएम का सहारा लिया। महिलाओं ने संगठन बनाकर अपनी स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। फिर सहेली संग महिला स्व-सहायता समूह बनाकर सर्वप्रथम मुर्रा लड्डू निर्माण से कार्य की शुरुआत की। समूह की आशा बाई साहू ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर सहेली संग महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया। इस समूह ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत मार्गदर्शन लेकर थोड़ी-थोड़ी राशि बचाना शुरू किया। जल्द ही उन्हें आंगनबाड़ी में मुर्रा लड्डू बनाने का काम मिला, जिससे उन्हें हर माह 10,000-15,000 रुपये की आय होने लगी।
समूह ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत स्कूलों के लिए गणवेश सिलाई का काम भी शुरू किया, जिससे उन्हें 15,000-20,000 रुपये की वार्षिक आय हुई। हालांकि यह कार्य केवल साल में एक बार होता था, इसलिए उन्होंने रेडी-टू-ईट फूड तैयार कर आंगनबाड़ी में सप्लाई करने का काम भी शुरू किया। जब समूह की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी, तो महिलाओं ने वर्ष 2016 में जिला प्रशासन के कम्पोजिट बिल्डिंग में केन्टीन संचालन के लिए आवेदन भरा। सहेली संग समूह को यह जिम्मेदारी मिली और 15 अगस्त 2016 से उन्होंने केन्टीन का संचालन शुरू किया। यहां भोजन, चाय-नाश्ता और समूह द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री होती है। प्रतिदिन 3000-4000 रुपये की बिक्री से समूह को शुद्ध लाभ होने लगा। इसके अलावा, सरकारी विभागों के कार्यक्रमों में भोजन और नाश्ते की आपूर्ति कर उनकी आय और बढ़ी। कैंटीन शुरू करने के लिए समूह ने एक लाख रुपये का ऋण लिया और 3.85 लाख रुपये जुटाकर शुरुआत की। इसके बाद, 10 लाख रुपये का बैंक लिंकेज ऋण लेकर केंटिन का विस्तार किया। आज समूह हर सदस्य को प्रतिमाह 3500 रुपये की आमदनी सुनिश्चित कर रहा है।
पापड़ की भी व्यवसाय शुरू
समूह की महिलाओं ने बताया कि चार लाख रुपये की लागत से पापड़ बनाने की आटोमेटिक मशीन खरीद की है। अब यह समूह शहर के अन्य महिला समूहों को जोड़कर बड़े पैमाने पर पापड़ उत्पादन और बाजार में बिक्री करने की योजना बना रहा है। समूह की महिलाओं के साथ अन्य महिलाएं भी जुड़ गई है, जिन्हें पापड़ निर्माण में रोजगार मिल रहा है। वहीं बाजार में पापड़ को रिस्पांस भी मिलने लगा है। ऐसे में समूह की महिलाएं लगातार व्यवसाय से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही है। समूह की सफलता से प्रेरित होकर कई अन्य महिलाएं भी इस समूह का हिस्सा बन चुकी हैं। वर्तमान में यह समूह अपने मेहनत और लगन से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है, बल्कि अन्य महिला समूहों के लिए एक आदर्श उदाहरण भी बन गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा