पारंपरिक पीठा बनाकर सफलता की नई गाथा लिख रहीं जोरहाट की रूपा बोरा
जोरहाट (असम), 13 जनवरी (हि.स.)। पूरा राज्य भोगाली बिहू उत्सव के रंग में सराबोर है। हर जगह लोग इस पर्व के स्वागत में व्यस्त हैं। इसी बीच जोरहाट जिलांतर्गत टियकटी के काकजान दुलियागांव में एक अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है। यहां की एक उद्यमी महिला रूप
लाखों पारंपरिक पिठा तैयार कर सुर्खियों में टीओक की रूपा बरा


जोरहाट (असम), 13 जनवरी (हि.स.)। पूरा राज्य भोगाली बिहू उत्सव के रंग में सराबोर है। हर जगह लोग इस पर्व के स्वागत में व्यस्त हैं। इसी बीच जोरहाट जिलांतर्गत टियकटी के काकजान दुलियागांव में एक अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है। यहां की एक उद्यमी महिला रूपा बोरा ने कुछ साल पहले गांव की कुछ महिलाओं को साथ लेकर पारंपरिक पीठा बनाने की शुरुआत की थी। आज यह छोटी पहल बड़े व्यवसाय में बदल चुकी है। इस बार बिहू के अवसर पर लाखों पीठा तैयार कर टियक, जोरहाट, शिवसागर सहित कई जगहों पर भेजे गए हैं। तिल पीठा, घिला पीठा, पाटी चेपता, नारियल के लड्डू जैसे विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन तैयार करने में 10-15 महिलाएं दिन-रात जुटी हुई हैं।

रूपा बोरा ने पारंपरिक व्यंजन खासकर बिहू के मौके पर ग्रामीण परिवेश में बनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पीठा एवं लड्डू को अपनी आजीविका का साधन बना लिया है। वे न सिर्फ अपने आपको स्वावलंबी बनाने में सफल हुई हैं, अपितु अपने साथ अन्य महिलाओं को जोड़कर उनके जीवन को भी खुशियों से भर दिया है। रूपा बोरा अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए एक आदर्श बनकर सामने आई हैं।

उल्लेखनीय है कि कच्चे माल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के कारण पीठा बाजार पर बुरा असर पड़ा है। खासकर, राज्य में हिताधिकारी योजनाओं के चलते काम और खेती की प्रवृत्ति में गिरावट आई है, जिससे स्थानीय उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं। इस स्थिति को समुदाय के लिए अच्छा संकेत नहीं मानते हुए रूपा बोरा ने चिंता जताई है। उन्होंने सभी को मुफ्त योजनाओं पर निर्भर रहने की बजाए आत्मनिर्भर बनने और श्रम संस्कृति को अपनाने का आह्वान किया, ताकि हर व्यक्ति अपनी आजीविका को सुरक्षित कर सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर