चीन के साथ बीआरआई समझौता करने को लेकर संसदीय समिति में प्रधानमंत्री से जवाब देने की मांग
काठमांडू, 13 जनवरी (हि.स.)। नेपाल सरकार का चीन के विवादास्पद बेल्ट एंड रोड कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को समिति की बैठक में तलब करने की मांग की है। संसद की अन्तरराष्ट्रीय संबंध समिति की स
संसदीय समिति की बैठक


काठमांडू, 13 जनवरी (हि.स.)। नेपाल सरकार का चीन के विवादास्पद बेल्ट एंड रोड कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को समिति की बैठक में तलब करने की मांग की है।

संसद की अन्तरराष्ट्रीय संबंध समिति की सोमवार को हुई बैठक में विदेश मंत्री डा आरजू राणा के जवाब से असंतुष्ट सांसदों ने प्रधानमंत्री ओली को ही समिति में बुलाकर उनसे जवाब तलब किए जाने की मांग की है। आज की संसदीय समिति में सरकार की तरफ से इस पर जवाब देने के लिए उपस्थित विदेश मंत्री ने एक बार फिर कहा कि बीआरआई में ऋण लेने की बात का कहीं उल्लेख नहीं है।

विदेश मंत्री के जवाब से असंतुष्ट समिति के सदस्य विमलेन्द्र निधि ने कहा कि विदेश मंत्री बीआरआई को लेकर ऋण के नहीं होने की बात कैसे कह सकती हैं जब खुद प्रधानमंत्री ओली ने सार्वजनिक रूप से पहले ही इसके ऋण और अनुदान दोनों होने की बात कह चुके हैं।

निधि ने कहा कि मैं सत्ता पक्ष का सांसद हूं और चीन भ्रमण से पहले ही दोनों दलों के बीच ऋण नहीं लेने पर समझौता हुआ था। लेकिन चीन जाने के बाद इस सहमति को तोड़ते हुए बीआरआई पर हस्ताक्षर किया गया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री ओली को इस समिति की बैठक में बुलाकर उनसे इस विषय पर जवाब लेना चाहिए।

इसी तरह इस संसदीय समिति के एक अन्य सदस्य पशुपति शमशेर राणा ने कहा कि सरकार को बीआरआई समझौते को लेकर ओरिजिनल डॉक्यूमेंट को समिति के समक्ष पेश करना चाहिए। क्योंकि जो दस्तावेज सरकार के तरफ से सार्वजनिक किया गया है उसकी विश्वनीयता पर शंका है।

सत्ता पक्ष के ही सांसद योगेश गौचन थकाली ने कहा कि यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब संसद की बैठक नहीं चल रही है। सरकार संसद की बैठक बुलाकर इस पर चर्चा करने करने से भी बच रही है। उनका कहना था कि कम से कम संसदीय समिति में ही प्रधानमंत्री को बुलाकर उनसे इस संबंध में पूछताछ करनी चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास