अररिया जिला स्थापना:   21 सालों की लंबी लड़ाई के मिला जिले का दर्जा  
फारबिसगंज/अररिया, 13 जनवरी (हि.स.)। अररिया का जिला स्थापना दिवस कल यानि मंगलवार काे है। इस बार स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रम होंगे। अररिया को जिले का दर्जा दिलाने के लिए लोगों ने 21 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी थी। वही, मैला आंचल की धरती को पूर्णिया से अलग कर
21 सालों तक चली थी लंबी लड़ाई अररिया को जिले का दर्जा दिलाने के लिए


फारबिसगंज/अररिया, 13 जनवरी (हि.स.)। अररिया का जिला स्थापना दिवस कल यानि मंगलवार काे है। इस बार स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रम होंगे। अररिया को जिले का दर्जा दिलाने के लिए लोगों ने 21 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी थी। वही, मैला आंचल की धरती को पूर्णिया से अलग करने के लिए 1969 से ही लोगों ने संघर्ष शुरू कर दिया था।

बता दें कि साहित्यकारों की इस धरती पर अररिया का लंबा इतिहास रहा है। लम्बी लड़ाई और खूब संघर्ष के बाद आखिरकार 14 जनवरी 1990 को सफलता हाथ लगी और अररिया को पूर्णिया से अलग कर जिला का दर्जा दिया गया। इस संघर्ष में कथा शिल्पी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1969 से शुरू हुए संघर्ष में फणीश्वरनाथ रेणु भी शामिल थे। बताया जाता है कि 48 साल के रेणु उस वक्त जिला बनाओ संघर्ष समिति की बैठकों में शामिल होते थे और अपनी साहित्यिक गतिविधियों के जरिये भी लोगों में अलख जगाते थे।

जानकार बताते हैं कि रेणु के इस तरह से लोगों को जागरूक करने पर संघर्ष समिति से लोगों का जुड़ाव बढ़ता गया।उन्ही के इसी योगदान और साहित्यिक उपलब्धियों की वजह से आज वैश्विक स्तर पर उनका नाम है। सिमराहा में बने इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेणु के नाम पर कर दिया है। 11 अप्रैल 1977 को रेणु जी का निधन के बाद संघर्ष समिति का आंदोलन जारी रहा। जानकर बताते है की 1990 के दशक में नगरपालिका चेयरमैन रहे और वरिष्ठ अधिवक्ता हंसराज प्रसाद के संयोजकत्व में ही जिला बनाओ संघर्ष समिति का गठन हुआ था। अब तो 35वें स्थापना दिवस समारोह में हंसराज प्रसाद नहीं हैं। बीते वर्ष ही उनकी मौत हो गयी।

हंसराज प्रसाद ने बताते थे कि संघर्ष समिति ने कई तरह के आंदोलन किए और इसमें हर वर्ग और हर शख्स का साथ मिला था। उस आंदोलन की खासियत यह थी कि इसमें सभी दलों के जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रातिनिधि, पत्रकार जगत के लोग, अधिवक्ता, चिकित्सक, बुद्धिजीवी समेत तमाम लोग एक मंच पर थे। सभी के मन में बस एक ही सोच थी कि अररिया को कैसे जिला का दर्जा दिलाया जाए।

इस संघर्ष में दिवंगत सांसद मो. तस्लीमुद्दीन, डॉ. प्रो अशोक कुमार झा, डॉ नवल किशोर दास, डूमर लाल बैठा, हलीमउद्दीन अहमद, सरयू मिश्र, अजीमुद्दीन, मो. मोइदुर्रह्मान, सत्यनारायण यादव, शीतल गुप्ता, श्रीदेव झा, डॉ आजम, बुन्देल पासवान, मो. यासीन, अनिल बोस, वासिकुररहमान, रुद्रानंद मण्डल, रामेश्वर यादव, लालचंद सहनी, पंडित रामाधार द्विवेदी, रघुनाथ राय, रत्न लाल गोयल, शम्स जमाल, मो. नसीर, नेमचंद की भूमिका रही है । वही इस जिले के पहले जिला पदाधिकारी (डीएम) एके चौहान थे । इस जिले में छह विधानसभा क्षेत्र है और एक लोकसभा सीट है ।

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हिन्दुस्थान समाचार / Prince Kumar