आईआईटी कानपुर ने विकसित किया दुनिया का पहला रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन
- ब्रेन स्ट्रोक में इलाज के बाद मस्तिष्क को सक्रिय करने में बनेगा मददगार कानपुर, 11 जनवरी (हि.स.)। ब्रेन स्ट्रोक में इलाज के बाद मरीज की रिकवरी चिकित्सकों के लिए बड़ी चुनौती होती है। इसको देखते हुए आईआईटी कानपुर में विगत 15 वर्षों से शोध चल रहा था औ
आईआईटी कानपुर ने विकसित किया दुनिया का पहला रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन


- ब्रेन स्ट्रोक में इलाज के बाद मस्तिष्क को सक्रिय करने में बनेगा मददगार

कानपुर, 11 जनवरी (हि.स.)। ब्रेन स्ट्रोक में इलाज के बाद मरीज की रिकवरी चिकित्सकों के लिए बड़ी चुनौती होती है। इसको देखते हुए आईआईटी कानपुर में विगत 15 वर्षों से शोध चल रहा था और अब दुनिया का पहला ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) बेस्ड रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन विकसित करने में सफलता हासिल कर ली। इसके जरिये ऐसे मरीजों के मस्तिष्क को सक्रिय किया जा सकेगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन में मदद करने और रिकवरी में तेजी लाने और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाकर स्ट्रोक के बाद की चिकित्सा को फिर से परिभाषित करने के लिए अपनी तरह का पहला ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) बेस्ड रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन विकसित किया है। यह नवाचार आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आशीष दत्ता द्वारा 15 वर्षों के कठोर शोध का परिणाम है, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), यूके इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का समर्थन प्राप्त है।

तीन आवश्यक घटकों को करेगा एकीकृत

बीसीआई बेस्ड रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन एक अद्वितीय क्लोज्ड-लूप नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करता है जो उपचार के दौरान रोगी के मस्तिष्क को सक्रिय रूप से संलग्न करता है। यह तीन आवश्यक घटकों को एकीकृत करता है: पहला, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस जो रोगी के हिलने-डुलने के प्रयास का आकलन करने के लिए मस्तिष्क के मोटर कॉर्टेक्स से ईईजी संकेतों को कैप्चर करता है, दूसरा, रोबोटिक हैंड एक्सोस्केलेटन जो थेरप्यूटिक हैन्ड की तरह काम करता है, और तीसरा घटक सॉफ़्टवेयर है जो, वास्तविक समय में आवश्यकता के अनुसार बल प्रतिक्रिया के लिए एक्सोस्केलेटन के साथ मस्तिष्क के संकेतों को सिंक्रनाइज़ करता है। यह सिंक्रनाइज़ दृष्टिकोण मस्तिष्क की निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करता है, जिससे तेज़ और अधिक प्रभावी रिकवरी को बढ़ावा मिलता है।

न्यूरो रिहैबिलिटेशन के क्षेत्र में डालेगा महत्वपूर्ण प्रभाव

प्रो. आशीष दत्ता ने बताया कि स्ट्रोक से रिकवरी एक लंबी और अक्सर अनिश्चित प्रक्रिया है। हमारा उपकरण फिज़िकल थेरपी, मस्तिष्क की सक्रियता और विसुअल फीडबक तीनों को एकीकृत कार्रत है, जिससे एक बंद लूप नियंत्रण प्रणाली बनती है जो मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी को सक्रिय करती है, जो उत्तेजनाओं के जवाब में अपनी संरचना और कार्यप्रणाली को बदलने की मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाती है। यह उन रोगियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनकी रिकवरी रुक गई है, क्योंकि यह आगे के सुधार और गतिशीलता को पुनः प्राप्त करने की नई उम्मीद देता है। भारत और यूके दोनों देशों में आशाजनक परिणामों के साथ हम आशावादी हैं कि यह उपकरण न्यूरो रिहैबिलिटेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह