बिना क्वालिफिकेशन आवेदन करने वाले फर्जी कैंडिडेट्स के खिलाफ मुकदमा करवाएगा आरपीएससी
अजमेर, 24 सितंबर (हि.स.)। बिना क्वालिफिकेशन भर्ती परीक्षाओं में आवेदन करने वालों के खिलाफ अब राजस्थान लोक सेवा आयोग कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर कार्रवाई करेगा। इसके लिए दो राज्यों के 14 कैंडिडेट्स को चिह्नित कर लिया गया है। इनमें जयपुर के पांच, अलवर के
राजस्थान लोक सेवा आयोग


अजमेर, 24 सितंबर (हि.स.)। बिना क्वालिफिकेशन भर्ती परीक्षाओं में आवेदन करने वालों के खिलाफ अब राजस्थान लोक सेवा आयोग कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर कार्रवाई करेगा। इसके लिए दो राज्यों के 14 कैंडिडेट्स को चिह्नित कर लिया गया है। इनमें जयपुर के पांच, अलवर के दो, उत्तर प्रदेश के दो और बांसवाड़ा, चुरू, धौलपुर, पाली और दौसा के एक-एक कैंडिडेट्स शामिल हैं। नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इन सभी ने असिस्टेंट प्रोफेसर (संस्कृत शिक्षा विभाग) एग्जाम के लिए पांच से 15 विषयों में आवेदन किए थे, जबकि ये अभ्यर्थी इन विषयों के एग्जाम में आवेदन की योग्यता नहीं रखते थे।

आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि ऐसे अभ्यर्थियों के कारण आयोग को परीक्षाओं की व्यवस्था कराने में लाखों रुपए का खर्च करना पड़ता है। ये अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल भी नहीं होते हैं। इस निर्णय के बाद ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि आठ से 19 सितंबर तक असिस्टेंट प्रोफेसर (संस्कृत शिक्षा) के एग्जाम के लिए 37 हजार 918 ने आवेदन किए थे। इसमें केवल 8350 ही परीक्षा देने आए। परीक्षा में 22 प्रतिशत ही उपस्थित हुए थे। ऐसे में आयोग को 400 रुपए प्रति कैंडिडेट के हिसाब से नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इसमें आरपीएससी का समय और धन दोनों का ही नुकसान हुआ था। इसी के चलते फर्जी आवेदन करने वाले कैंडिडेट्स के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय किया।

सचिव मेहता ने बताया कि जब फॉर्म भरते हैं तो इन लोगों के मोबाइल पर ओटीपी भी जाता है। इनमें से कई को नहीं पता कि इनका फॉर्म कौन भर रहा है। ऐसे अभ्यर्थी न केवल आयोग की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं बल्कि इसके पीछे कोई बड़ा कारण भी हो सकता है। उसकी तह तक जाने का प्रयास करेंगे। इसी के चलते पहली बार कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। आयोग के अनुसार, भारतीय भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 217 के तहत रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर ली है। फिलहाल 14 कैंडिडेट्स पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे कैंडिडेट्स को आयोग की भर्ती परीक्षाओं से डिबार करने की कार्रवाई होगी।

आयोग सचिव के अनुसार, संवैधानिक संस्था या सरकारी विभाग को जानबूझ कर झूठी जानकारी देने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 217 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें 1 साल तक की जेल या 10 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं। मुख्य परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर एग्जाम के लिए कई लोगों ने अलग-अलग फॉर्म भरे हैं। जैसे किसी अभ्यर्थी ने पांच से ज्यादा फॉर्म भरे हैं। इसका मतलब उसने पांच से ज्यादा सब्जेक्ट्स में एमए कर रखी है। ऐसे में इन्हें जांच के दायरे में लिया है। कई अभ्यर्थियों ने 15 सब्जेक्ट्स के लिए फॉर्म भरे हैं।

लाखों का खर्च होता है

गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक परीक्षार्थी पर परीक्षा आयोजित कराने के लिए औसतन हर कैंडिडेट्स पर 400 रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में लाखों कैंडिडेट्स के एब्सेंट रहने के कारण पेपर छपवाने, पेपर पहुंचाने, सेंटर की व्यवस्था करने, एग्जामिनर लगाने, चेकिंग करने में काफी सारा खर्च हो जाता है। यह खर्च करीब करोड़ों रुपए का होता है। इसके लिए बेवजह और बिना योग्यता के फार्म भरने वालों पर अब सख्ती की जा रही है। इससे आने वाले समय में ऐसे कैंडिडेट्स पर अंकुश लगेगा। इसके साथ अन्य विकल्प भी तलाश रहे हैं कि ऐसे लोगों पर कैसे अंकुश लगाया जाए।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित