पश्चिमी नस्ल की गायों के दूध के अधिक सेवन से सीखने की क्षमता पर असर
—गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि गायों के दूध में इम्यूनिटी बढ़ती है वाराणसी, 20 सितम्बर (हि.स.)। अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए पश्चिमी नस्ल की गायों जर्सी,होल्स्टीन और फ्राइजियन को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि पश्चिमी नस्ल की
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—गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि गायों के दूध में इम्यूनिटी बढ़ती है

वाराणसी, 20 सितम्बर (हि.स.)। अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए पश्चिमी नस्ल की गायों जर्सी,होल्स्टीन और फ्राइजियन को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि पश्चिमी नस्ल की गायों से प्राप्त दूध को A1 दूध कहा जाता है। इस दूध में A1 कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है जिस कारण इसका नाम A1 दूध पड़ा है। केसीन प्रोटीन अल्फा और बीटा जैसे प्रोटीन होते हैं। इसमें जो बीटा प्रोटीन होते हैं, उनका नाम A1 और A2 और जिसमें A1 बीटा प्रोटीन पाया जाता है, उसे A1 क्वालिटी का दूध कहा जाता है। इसमें मौजूद BCM-7 की उपस्थिति केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर मॉर्फिन जैसे प्रभाव को पैदा करती है। एक बार जो भी इसका सेवन करता है इसे अपनी आदत में उतार सकता है और ये तंत्रिका विकार के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। साथ ही ये हमारी सीखने की क्षमता पर भी असर कर सकता है।

गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र (देवलापार नागपुर ) के समन्वयक सुनील मानसिंहका बताते है कि हाई लैक्टोज इंटोलरेंस के साथ, A1 दूध के प्रकार में कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा पाई जाती है । जो मनुष्यों की आंत में नुकसानदेह बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकते है और इसे पीने से बच्चों की व्याधि प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। A1 दूध में हिस्टाडीन नामक अमीनो एसिड होता है, जो की शरीर मे हिस्टामिन का स्राव करवाता है। जो बच्चों में त्वचा एलर्जी, बहती नाक, अस्थमा और खांसी का कारण बन सकता है। यहां तक कि ये दूध बच्चों में मधुमेह और मोटापे जैसे दीर्घकालिक जोखिम को भी पैदा कर सकता है। ऐसे में हमें देशी गाय पालन के साथ इसके दूध का सेवन आवश्यक है। भारतीय नस्ल की गायों जैसे गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि से प्राप्त किया गया दूध A2 की श्रेणी में आता है। इस दूध में A2 कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है। जिस वजह से इसका नाम A2 मिल्क रखा गया है। A2 टाइप के दूध के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, यह बेहतर प्रतिरक्षा यानी इम्यूनिटी को बूस्ट करता है।

उन्होंने बताया कि A2 दूध में प्रोलाइन की उपस्थिति बीटा कैसोमोर्फिन -7 को हमारे शरीर तक पहुंचने से रोकने में मदद करती है, साथ ही ऑटिज्म और न्यूरो विकारों जैसी पुरानी बीमारियों से भी बचाव करती है। A2 दूध के प्रकार में ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद पोटेशियम से ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इस प्रकार के दूध में विटामिन ए होता है जिससे ये आंखों की सेहत के लिए लाभकारी है। ये दूध आंखों की रोशनी बढ़ाता है और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं को रोकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि A2 किस्म का दूध, A1 की तुलना में ज्यादा लाभकारी होता है। A2 दूध देसी नस्‍ल की गाय से प्राप्त किया जाता है जो कि ताजी और हरी घास खाती हैं। इसमें A1 की अपेक्षा प्रोटीन और पोषक तत्व अधिक होते हैं। इस तरह का दूध डायबिटिज,हृदय रोग एवं न्‍यूरोलॉजीकल डिसऑर्डर जैसी समस्याओं से भी बचाता है। उन्होंने बताया कि पंचगव्य में पॉच चीजें जैसे गो—दुग्ध, दही, घृत, गौमूत्र और गोमय (गोबर )शामिल है। इसमे दूध, दही, घी, गोबर एवं गौमूत्र का प्रयोग अलग-अलग एवं संयुक्त रुप से खून को पतला करना, रक्त शोधन, भूलने वाली बीमारी, पार्किन्शन, अल्जाइमर एवं डिमेन्शिया आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है। गोमूत्र को एंटी माइक्रोबियल, एंटीफंगल, कर्करोग रोधक, मेदोरोग, कुष्ठ, और धमनी काठिन्य (ब्लॉकेज) में उपयोग किया जाता है। दो दिवसीय संगोष्ठी में इस पर चर्चा होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी