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-प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
भीलवाड़ा, 18 सितंबर (हि.स.)। शाहपुरा जिले के जहाजपुर कस्बे में 14 सितंबर को हुई घटनाओं के बाद, जहाजपुर कांग्रेस नगर अध्यक्ष सादिक पठान और नगर पालिका के सात मुस्लिम पार्षदों ने सामूहिक रूप से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इनका आरोप है कि 14 सितंबर को मुस्लिम समाज की दुकानों और केबिनों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की घटनाओं के बाद प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की है, जिससे मुस्लिम समाज के लोगों को न्याय नहीं मिल पाया। इस घटना के बाद कांग्रेस के किसी भी पदाधिकारी ने न तो मुस्लिम समाज से संपर्क किया और न ही कोई सहायता प्रदान की, जिसके कारण आहत होकर सभी ने इस्तीफा देने का फैसला किया।
इस्तीफा देने वालों में नगर अध्यक्ष सादिक पठान, सभी कांग्रेस पदाधिकारी नगर पालिका मण्ड़ल जहाजपुर के सात मुस्लिम पार्षद जिनके नाम एव वार्ड यह है वार्ड नं. 01 सिराज अहमद, वार्ड नं. 07 नजीर मोहम्मद सरवरी, वार्ड नं. 08 शबनम बेगम, वार्ड नं. 17 रूबीना बानू, वार्ड नं. 18 शागिल अहमद, वार्ड नं. 19 परवेज खान पठान, वार्ड नं. 20 मुजम्मिल पठान शामिल है।
इस्तीफा देने वाले पार्षदों का कहना है कि 14 सितंबर की घटना में मुस्लिम समाज की दुकानों पर हमला हुआ, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में संतुलित और निष्पक्ष कार्रवाई करने के बजाय एकतरफा कार्रवाई की। इसके चलते मुस्लिम समाज के लोग न्याय से वंचित रह गए। उनका आरोप है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश और जिला स्तर के किसी भी नेता या पदाधिकारी ने इन घटनाओं के बाद उनसे कोई संपर्क नहीं किया, न ही किसी ने मुस्लिम समाज की समस्याओं को उठाने का प्रयास किया। इस उदासीनता और समर्थन की कमी से आहत होकर सभी पार्षदों और नगर अध्यक्ष ने सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
इस्तीफा देने वालों ने आरोप लगाया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के नेताओं और युवाओं ने भी इस बात पर नाराजगी जताई कि कांग्रेस ने मुस्लिम समाज की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने में विफलता दिखाई। इस्तीफा देने वाले नेताओं का मानना है कि पार्टी के इस व्यवहार ने मुस्लिम समाज में गहरी निराशा पैदा की है, और इसलिए वे अब पार्टी के साथ नहीं जुड़े रह सकते।
इस सामूहिक इस्तीफे ने स्थानीय राजनीतिक वातावरण को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। जहाजपुर में पहले से ही समुदायों के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था, और इस इस्तीफे के बाद स्थिति और गंभीर हो सकती है। पार्षदों ने प्रशासन और कांग्रेस पार्टी से अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों को जल्द से जल्द नहीं सुना गया तो विरोध और उग्र हो सकता है। स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व से इस सामूहिक इस्तीफे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पार्टी के लिए यह घटना एक बड़ा झटका साबित हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब चुनावी समीकरणों में मुस्लिम समाज की भूमिका अहम होती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद